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ग्वालियर

वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाला देश का पहला मुक्तिधाम, यहां सौंदर्य के बीच गूंजती हैं किलकारियां

आपने आज तक जितने भी मुक्तिधाम देखे होंगे, वहां छाया हुआ सन्नाटा और जलती हुई चिताओं ही नजर आई होंगी। लेकिन पोरसा कस्बे का मुक्तिधाम में अपने आप में एक अनोखी जगह है…जहां टूरिस्ट घूमने आते हैं…आप भी जानें कैसे बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड…

ग्वालियरFeb 26, 2024 / 09:45 am

Sanjana Kumar

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आपने आज तक जितने भी मुक्तिधाम देखे होंगे, वहां छाया हुआ सन्नाटा और जलती हुई चिताओं ही नजर आई होंगी। लेकिन पोरसा कस्बे का मुक्तिधाम में अपने आपमें एक अनोखी जगह है। जहां सिर्फ अंतिम संस्कार नहीं होते बल्कि यहां के प्राकृतिक सौंदर्य, औषधीय पौधों और दिनभर खेलते-कूदते बच्चों की किलकारियां देखने के लिए देशभर से टूरिस्ट आते हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल पोरसा के मुक्तिधाम को यह उपलब्धि चंद महीनों अथवा दिनों की नहीं बल्कि 25 साल की मेहनत का परिणाम है।

पोरसा मुक्तिधाम को मिशन बनाकर संवारने वाले समाजसेवी डॉ. अनिल गुप्ता बताते हैं कि 25 साल पहले हमारा मुक्तिधाम भी जीर्णशीर्ण बदहाल था। उसी वक्त हमने तय कर लिया था कि इस मुक्तिधाम की कायाकल्प करके ही रहेंगे। शुरुआती दिनों में यह अभियान साफ-सफाई से शुरू हुआ। फिर जीर्णशीर्ण बाउंड्रीवाल को दुरुस्त कराया गया। 25 साल तक रोज 4 से 5 घंटे की अथक मेहनत के बाद आज पोरसा मुक्तिधाम देश में ही नहीं बल्कि, विदेशों में भी लोगों की चर्चा का केंद्र बना है।

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डॉ. अनिल पोरसा मुक्तिधाम को अपनी मेहनत से संवारकर वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने वाले समाजसेवी डॉ. अनिल गुप्ता अपनी इस उपलब्धि के लिए लंदन की पार्लियामेंट्री में भी सम्मानित हो चुके हैं। साथ ही उन्हें मप्र की राज्यपाल ने भी सम्मानित किया है।

पोरसा मुक्तिधाम में सबसे प्रमुख आकर्षण का केंद्र है यहां हरियाली से तैयार की गई सत्यम, शिवम, सुंदरम की आकृति। साथ ही ओम के आकार ऊंचाई से देखने पर ऐसा लगता है जैसे साक्षात शिव कैलाश पर्वत पर मनोहारी छटा बिखेर रहे हों। यहां विभिन्न औषधीय पौधों से उठने वाली सुंगध मन को आनंदचिष्ट्वा कर देती है। वहीं हरि शरणम, मां, कलश व स्वास्तिक की आकृति भी मन को मोह लेती है।

 

मुक्तिधाम में छोटे बच्चों को लुभाने के लिए गायजिराफ और हाथी की आकृतियां भी लगी हुई हैं। वहीं झूला, फिसलपट्टी, व्यायाम, वेटलिङ्क्षद्ब्रटग आदि लगाकर मुक्तिधाम को सजाया गया है। यहां खरगोश, कबूतर, तोते आदि जीवों को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए घरौंदे भी हैं।

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