
हनुमानगढ़। नशे की बढ़ती आग मां-बाप की उम्मीदों के चिराग बुझा रही है। शहर में पिछले तीन सप्ताह के भीतर दो लड़कों की चिट्टे व मेडिकेटेड नशे की ओवरडोज से मौत हो चुकी है। यह तो सिर्फ वे प्रकरण हैं जो पुलिस रेकॉर्ड में आए। जमीनी हालात और भी भयावह हैं। चिंतनीय स्थिति इसलिए भी है कि चिट्टे व मेडिकेटेड नशे के अधिकांश रोगी 35 से कम उम्र के हैं।
इन नशों के रोगियों की मौत के मामले भी सर्वाधिक हैं। यूं तो हर नशा घातक है, किन्तु चिट्टे व मेडिकेटेड नशे के रोग में डेथ रेट ज्यादा है। नशे पर अंकुश लगाने को लेकर पुलिस के अपने दावे हैं तथा कार्रवाई का गणित है। कड़वा सच यह है कि जिले में नशीले पदार्थों की खपत और तस्करी निरंतर बढ़ती जा रही है। पुलिस के रेकॉर्ड संख्या में मामले दर्ज करने के बावजूद घरों तक में मेडिकेटेड नशा तथा चिट्टा बेचा जा रहा है।
खून में मिलाकर नशा
जानकारी के अनुसार मेडिकेटेड नशे के रोगी टेबलेट-कैप्सूल खरीदकर उसे खाते नहीं है। क्योंकि ओरल डोज से उनको नशा कम चढ़ता है। ऐसे में टेबलेट को खाने की बजाय अधिक नशा चढ़ाने के लिए उसे पहले पीसते हैं। फिर सीरींज से अपना खून निकालते हैं तथा उसमें पीसी हुई टेबलेट मिलाते हैं। इसके बाद पुन: सीरींज के जरिए वह नशा मिश्रित खून चढ़ाते हैं। इससे ओवरडोज की आशंका रहती है। इंजेक्शन से नशा करने वालों की कलाई व बाजू सूजी हुई रहती है।
तो कई जिंदगी खराब
बरकत कॉलोनी तथा भट्ठा कॉलोनी निवासी नशे के रोगी युवकों की मौत के मामलों में एक कॉमन बात है जो बड़ी सामाजिक समस्या है। दोनों के ही परिजन जानते थे कि उनका सपूत नशे का रोगी है। उसका इलाज कराने की बजाय ब्याह करवा दिया ताकि परिवार की जिम्मेदारी पड़ेगी तो सुधर जाएगा। सुधरा कोई नहीं, नशे के कारण परलोक ही सिधार गए। पीछे मां-बाप के साथ पत्नी-बच्चे भी दुख झेलने को रह गए।
केस : 1
27 अप्रेल को टाउन की बरकत कॉलोनी निवासी युवक की नशे की ओवरडोज से मौत हो गई। युवक करीब दो-तीन साल से नशीली दवा के इंजेक्शन लगा रहा था तथा नशीली गोलियां खाता था। ओवरडोज के चलते उसको जिला चिकित्सालय लाया गया था, वहां उसने दम तोड़ दिया था।
केस : 2
29 अप्रेल को जंक्शन में रेल की पटरियों के पास टाउन की बरकत कॉलोनी निवासी किशोर मृत अवस्था में पाया गया। उसकी नशे की ओवरडोज से मौत हुई थी। जीआरपी ने शव को जिला चिकित्सालय की मोर्चरी रखवाया। मृतक किशोर के माता-पिता की पूर्व में ही मौत हो चुकी थी।
नशा रोगी बोले, बिक रहा नशा
पत्रिका ने नशे के रोगियों से बातचीत कर स्थिति को जाने का प्रयास किया। नशा रोगियों ने बताया कि नशे की लत पूरी करने के लिए चोरी भी करनी पड़ती है। पहले तो दोस्तों, रिश्तेदारों से उधार लेकर काम चला लेते हैं। पैसा हो तो शहर में टाउन व जंक्शन में कहीं से भी नशा खरीद लो। टिब्बी रोड पर दर्जनों घरों में किसी टाइम भी नशा खरीद लो। नशा ना मिले तो शरीर टूटने लगता है। आत्महत्या तक करने का मन करने लगता है। शहर में दस साल की उम्र से लेकर पचास-साठ साल तक के लोग चिट्टे व मेडिकेटेड नशे की गिरफ्त में है। स्थिति बहुत खराब है और नशा बेचने वाले पुलिस से बिलकुल भी नहीं डरते हैं।
यूं बढ़ रहा जिले में नशे का दर्द
हनुमानगढ़ जंक्शन की भट्ठा कॉलोनी में गत वर्ष नशे की ओवरडोज से युवक की मौत।
हनुमानगढ़ जंक्शन में नशे की ओवरडोज से मरे किशोर का शव रेल की पटरियों के पास मिला।
हनुमानगढ़ टाउन की बरकत कॉलोनी निवासी युवक की मेडिकेटेड नशे की ओवरडोज से मौत।
हनुमानगढ़ टाउन स्थित नशा मुक्ति केन्द्र में गत वर्ष नशे के रोगी की मौत।
चिट्टे की ओवरडोज से हनुमानगढ़ निवासी शिक्षक के पुत्र की मौत।
चिट्टे की लत के चलते संगरिया स्थित नशा मुक्ति केन्द्र में भर्ती युवक की मौत।
चिट्टे की ओवरडोज से सूरेवाला में युवक की मौत।
नशे की लत में रुकावट बनने पर चार केएनएन में किशोर ने माता- पिता व भाई की हत्या की।
नशे के लिए पैसे नहीं देने पर पीलीबंगा थाना क्षेत्र में एक युवक ने पत्थर मार की थी दादा की हत्या।
हनुमानगढ़ टाउन थाना क्षेत्र में नशे की लत के शिकार युवक ने खेत में फांसी लगाकर दी जान।
Published on:
16 May 2023 07:03 pm
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