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दहेज में कार नहीं देने पर की थी हत्या, मां-बेटे को दस वर्ष की सजा

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नोहर.

दहेज में कार की मांग को पूरा न करने पर मां व उसके दो वर्षीय पुत्र की हत्या कर शव डिग्गी में फैंकने के आरोप में अपर जिला एंव सैशन न्यायाधीश संख्या एक पुखराज गहलोत ने दोषी मां-बेटे को दस वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों को पांच हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है।


दोषी खींवणी देवी पत्नी देवीलाल व उसका बेटा महावीर पुत्र देवीलाल जाट रावतसर तहसील के बिसरासर गांव के रहने वाले हैं। मामले के अनुसार अक्टूबर 2015 को सावर तहसील सरदारशहर निवासी मोहरसिंह पुत्र भैराराम जाट ने पुलिस थाना पल्लू में मामला दर्ज करवाकर बताया था कि उसकी बहन गोमतीदेवी की शादी बिसरासर निवासी महावीर पुत्र देवीलाल जाट के साथ हुई। शादी में उन्होंने हैसियत से बढ़ कर दान व दहेज दिया।

किन्तु शादी के कुछ दिनों बाद ही उसकी बहन गोमती को उसका पति महावीर व उसकी सास खींवणी देवी दहेज के लिए परेशान कर कार की मांग करने लगे। दर्ज मामले में मोहरसिंह ने बताया था कि दहेज की मांग को लेकर आए दिन उसकी बहन को तंग व परेशान करते हुए जान से मारने की योजना बनाई जाने लगी। 31 अक्टूबर 2015 को फोन पर उसके बहनोई महावीर ने सूचना दी की दहेज में कार नहीं देने पर गोमती व उसके पुत्र दीपक की हत्या कर शव डिग्गी में डाल दिया है।


पुलिस ने इस संबंध में दहेज हत्या का मामला दर्ज कर आरोपितों के खिलाफ अनुसंधान करके न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने दोनों को दोषी मानते हुए दस वर्ष के कठोर कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक शशि कुमार सहारण ने की। हत्या के मामले में आरोपित महावीर गिरफ्तारी के बाद से ही न्यायिक अभिरक्षा में है जबकि उसकी माता खींवणी देवी जमानत पर चल रही थीं जिसे फैसले के बाद न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है।