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हनुमानगढ़

लौटता Monsoon मेहरबान, राजस्थान के इन जिलों के लिए वरदान

हिमाचल की वादियों में लौटते मानसून की मेहरबानी से घग्घर नदी में इस सीजन में दूसरी बार पानी की आवक हुई है। इससे प्यासी घग्घर नदी की कोख भर सकेगी। इसका लाभ क्षेत्र के किसानों को मिल सकेगा। अभी पानी नौ से बारह जीबी से आगे पहुंच गया है।

हनुमानगढ़Oct 03, 2022 / 03:56 pm

Santosh Trivedi

hanumangarh

पुरुषोत्तम झा/हनुमानगढ़

Monsoon Update: हिमाचल की वादियों में लौटते मानसून की मेहरबानी से घग्घर नदी में इस सीजन में दूसरी बार पानी की आवक हुई है। इससे प्यासी घग्घर नदी की कोख भर सकेगी। इसका लाभ क्षेत्र के किसानों को मिल सकेगा। अभी पानी नौ से बारह जीबी से आगे पहुंच गया है। बारह दिनों तक इसी तरह पानी चलता रहा तो पानी पाकिस्तान सीमा तक पहुंच सकता है। जिस तरह से वर्तमान में पानी चल रहा है, उससे इतना तय है कि पानी अनूपगढ़ तक जरूर पहुंचेगा। इससे आगे पानी जाएगा या नहीं, यह हैड पर हो रही आवक पर निर्भर करेगा।

 

विभागीय अधिकारियों के अनुसार शिवालिक की पहाड़ियों में बीते सप्ताह अच्छी बारिश होने के बाद नदी प्रवाह क्षेत्र में पानी की आवक दोबारा शुरू हुई है। 25 सितम्बर को दोबारा आवक शुरू होने के बाद नदी के गुल्ला चिक्का हैड पर 42000 क्यूसेक तक पानी चला है। हालांकि अब पानी की मात्रा घटने लगी है। फिर भी अनूपगढ़ तक पानी पहुंचने की उम्मीद है। नदी प्रवाह क्षेत्र में फिर से पानी की आवक होने से किसानों में खुशी है। जल प्रवाह होने से आसपास की भूमि का जल स्तर बढ़ेगा। इससे रबी व खरीफ सीजन में किसान ट्यूबवैल के जरिए पानी पंप करके खेतों में सिंचाई पानी दे सकेंगे। जल संसाधन विभाग हनुमानगढ़ खंड द्वितीय के एक्सईएन सहीराम यादव ने बताया कि घग्घर नदी में पानी का प्रवाह 25 सितम्बर 2022 से फिर शुरू हुआ है। वर्तमान में नाली बेड में 4000 क्यूसेक पानी चला रहे हैं। पानी की गति को देखकर यह लगता है कि अनूपगढ़ तक जरूर पहुंचेगा।

 

इतना चल रहा पानी
घग्घर नदी में दो अक्टूबर 2022 को गुल्ला चिक्का हैड 10780 क्यूसेक पानी चल रहा था। खनौरी हैड पर 5900, चांदपुर हैड पर 4600 क्यूसेक, ओटू हैड पर 7500 क्यूसेक, घग्घर साइफन 7300 तथा नाली बेड में 4000 क्यूसेक पानी चल रहा था। हिमाचल, पंजाब व हरियाणा के आसपास शिवालिक की पहाड़ियों से घग्घर में पानी का प्रवाह होता है। काफी मात्रा में हरियाणा के ओटू हैड पर पानी का भंडारण कर लिया जाता है। इसके बाद राजस्थान में पानी छोड़ा जाता है।घग्घर का आगमन हिमाचल प्रदेश के शिमला के पास शिवालिक पहाड़ियों के पास से माना जाता है।

 

दोनों जिले के किसानों के लिए वरदान
घग्घर नदी से राजस्थान में हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिले के किसानों को खेती में फायदा होता है। पानी की आवक होने से रबी व खरीफ दोनों सीजन में किसानों के खेतों को सिंचाई पानी मिलता है। जिले की आर्थिक विकास का बड़ा आधार खेती ही है। इस लिहाज से यह नदी किसानों के लिए वरदान मानी जाती है।

 

इससे पहले 18 दिन में पाक पहुंचा पानी
मानसून के सक्रिय होने के बाद जुलाई 2022 में नदी प्रवाह क्षेत्र में पानी की आवक शुरू होने पर 18 दिन बाद पानी पाकिस्तान सीमा तक पहुंचा था। इसके बाद आवक बंद हो गई थी। लेकिन लौटते मानसून की मेहरबानी के चलते अच्छी बारिश होने से 25 सितम्बर को दोबारा पानी की आवक शुरू हुई है।

 

कॉजवे से आवागमन रोका
घग्घर नदी के गुल्लाचिक्का हैड पर 27 सितम्बर 2022 को पानी की मात्रा बढ़कर 42046 क्यूसेक होने पर राजस्थान क्षेत्र में भी पानी की मात्रा बढ़ा दी गई। लगातार पानी का प्रवाह तेज होने पर टाउन के नजदीक भद्रकाली मंदिर के सामने बने कॉजवे पर आवागमन बंद करवा दिया गया है। बेरिकेट्स लगाकर पुलिस का जाब्ता भी लगाया गया है। जिससे लोग कॉजवे से आवाजाही नहीं कर सकें। एसडीएम अवि गर्ग के अनुसार पानी कॉजवे के ऊपर से गुजरने लगा है। इस वजह से संभावित खतरे को देखते हुए कॉजवे के ऊपर से आवागमन बंद करवाया गया है।

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यहां निगरानी की जरूरत
घग्घर नदी का हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिले में लंबा बहाव क्षेत्र है। इसमें 29 प्वाइंट ऐसे हैं जहां पर नदी की चौड़ाई तीन बीघा से भी कम है। इसलिए नदी के इस क्षेत्र को लोग नाली बेड के नाम से पुकारने लगे हैं। तीन बीघा से कम चौड़ाई वाले जगह को संवेदनशील बिंदु मानकर जल संसाधन विभाग के अधिकारी इसकी विशेष निगरानी कर रहे हैं। खतरनाक प्वाइंट वाले स्थानों में टिब्बी तहसील के गांव पीरकामड़िया का 21 एनजीसी, 25 एनजीसी, चार एचएमएच, शेरेकां, कमरानी, फतेहपुर, अमरपुरा, भद्रकाली, ढालिया, बुड़सिंवाला, गाहड़ू, ज्वाला सिंहवाला, सतीपुरा, हनुमानगढ़ जंक्शन का तीन केएनजे, टाउन, गंगागढ़, पुरुषोत्तमवाला बास, करणीसर, सहजीपुरा, चक जहाना, बहलोल नगर, मसरूवाला, 22 एसटीजी, आबादी 23 एसटीजी, आबादी चक 29 एसटीजी, श्रीगंगानगर जिले में 43 एसटीजी ए, बी, रंगमहल, 45 एसटीजी, केंद्रीय फार्म कॉलोनी सूरतगढ़, अमरपुरा राठान, सीलवानी को संवेदनशील क्षेत्र में शामिल किया गया है।

 

सरकार भी निहाल
घग्घर के पानी से किसानों के साथ ही सरकार का खजाना भी निरंतर भरता रहा है। मत्स्य विभाग की ओर से मछली पालन को लेकर हर वर्ष अनुबंध किया जाता है। इससे अच्छी आय होती है। जो सरक

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