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स्वास्थ्य

योगासन जो बढ़ाते हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता

नियमित योग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) मजबूत होती है। जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है तो अनेक संक्रमण, बीमारियां, बैक्टीरिया, वायरस और फंगस शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं।

जयपुरJun 18, 2020 / 10:22 am

Hemant Pandey

योगासन जो बढ़ाते हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता

योगासन जो बढ़ाते हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता

नियमित योग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) मजबूत होती है। जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है तो अनेक संक्रमण, बीमारियां, बैक्टीरिया, वायरस और फंगस शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए योग अच्छा विकल्प है। इससे प्राकृतिक तरीकों से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 21 जून को विश्व योग दिवस है। कुछ इम्युनिटी बूस्टर योगासन-
सूर्यनमस्कार
इसे सात बार करना चाहिए। इसमें श्वांस का भी ध्यान रखना होता है। प्राणायम का भी लाभ मिलता है। सूर्य से ऊर्जा मिलती और इम्युनिटी बढ़ती है। इसमें सात मुद्राएं होती हैं। एक मिनट में एक अवस्था को पूरा करना चाहिए।
पादंगुष्ठासन
यह इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद आसन माना जाता है। इसे बिग टो पोज भी कहते हैं। यह आसन मांसपेशियों को पैरों, रीढ़ और गर्दन के पीछे खींचने में मदद करता है। यह आसन थोड़ा कठिन होता है। इसे विशेषज्ञ से सीखे बिना करने की कोशिश न करें।
शशांकासन
इस आसन को नियमित करने से तनाव दूर होता है। तनाव और इम्युनिटी का सीधा संबंध है। तनाव से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है जिससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिलती है। इम्युनिटी कम होने लगती है। इस आसन को 8-10 बार तक कर सकते हैं।
मकरासन और शवासन
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए मकरासन और शवासन काफी उपयोगी हैं। मकरासन, थकान, तनाव, डिप्रेशन अन्य मानसिक रोगों में लाभ पहुंचाता है। वहीं शवासन सभी यौगिक कियाएं करने के बाद करीब 5 मिनट करना चाहिए। इसमें गहरी सांस लेते हैं जिससे शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है।
पहली बार योग-प्राणायाम कर रहे हैं तो…
विशेषज्ञ से योग-प्राणायाम सीखने के बाद ही करें। योग क्रिया करने से पहले करीब 10 मिनट सूक्ष्म यौगिक क्रियाएं करें। इससे शरीर के सभी अंग सक्रिय होते हैं। वहीं, प्राणायाम से पहले दो मिनट कपालभाति करें। इससे शरीर की शुद्धि होती है। फिर एक मिनट आराम देने के बाद प्राणायाम करें। शरीर में करीब 72 हजार नाडिय़ां होती हैं। ये सभी अनुलोम-विलोम से सक्रिय हो जाती हैं। सबसे अंत में करीब 25 मिनट मेडिटेशन करें। खाने के चार घंटे बाद ही योग-प्राणायाम करना चाहिए।
डॉ. धीरज जैफ, वरिष्ठ योग विशेषज्ञ, सवाई मानसिंह मेडिकल कालेज,

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