पूरे शहर को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के आधार पर निर्माण अनुमति देने वाली नपा के खुद अपने भवन में हालत खराब है। जिला कलेक्टर कार्यालय, जिला अस्पताल, शासकीय स्कूल के भवनों में पत्रिका ने जाकर देखा तो पता चला कि यहां पर बारिश की बूंदो को सहजने की बात करने वाले अधिकारियों के कार्यालय में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बंद पड़ा है। जब जिला मुख्यालय के यह हाल है तो अनुविभाग व समूचे जिले में इस नियम का पालन तो दूर की बात है। बारिश के दौर में सरकारी से लेकर प्रशासन द्वारा बड़े स्तर पर जलसंरक्षण के लिए अभियान चलाने से लेकर बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में हालात ठीक विपरीत है। भूजल के लिए जो सिस्टम भवन निर्माण के साथ बनाना जरूरी किया गया है। वह सिस्टम ही निजी तो ठीक, परंतु किसी भी सरकारी विभाग के भवन में नहीं है।
इसलिए जरुरी है बारिश के पानी को सहेजने के लिए यह सिस्टम
जिले की तहसीलों पर डार्क जोन का धब्बा लगा हुआ है। अतिदोहित क्षेत्र और गंभीर स्थिति की श्रेणी में होने के बाद वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम कही नहीं है। भूजल रसातल में जा रहा है। लगातार गिरते भूजल को मेंटेन करने के लिए यह सिस्टम पहुंचेगा तो वाटर लेवल भी सुधरेगा। इस सिस्टम में छतों का पानी जमीन तक पाइप के माध्यम से छोडऩे का सिस्टम है। लेकिन इसका उपयोग जिले में सरकारी व निजी में आवासीय व व्यवसायिक भवनों पर नहीं हो रहा है। पिछले सालों में तत्कालीन कलेक्टर मनोज पुष्प ने इसके लिए व्यापक तौर पर मॉनीटरिंग करते हुए यह सिस्टम सभी सरकारी भवनों जिले में बाढ़ आई थी। इसके बाद फिर इस पर काम नहीं हुआ और अब तक हालात जस के तस बने हुए हैं।
बिना बारिश की बूंदों को सहेजे कैसे बढ़ेगा भूजल स्तर
ऐसे में बारिश की बूंदी को सहेजे बिना भूजल स्तर को कैसे बढ़ाया जा सकेगा। पर्याप्त बारिश के बाद भी एक दिन छोडक़र शहर में तो अधिकांश जिलो में पानी मिल रहा है। वहीं गर्मी आते-आते जलस्रोत सूखने लगते है, लेकिन बारिश के पानी को बचाने के लिए नियमों का पालन जिले में कहीं नहीं हो पा रहा है। जिन पर सिस्टम लगवाने की जिम्मेदारी है, उन्हीं के भवनों में यह नहीं लगा है। बारिश के दिनों में हर और पर्यावरण व जलसंरक्षण के लिए बड़े स्तर की प्लानिंग बन रही है और काम के दावे किए जा रहे है, लेकिन अब तक किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। जब सरकारी भवनों में ही यह सिस्टम नहीं लगा है, तो जिला मुख्यालय से लेकर पूरे जिले में आम लोग के भवनों में सिस्टम लगवाना और पालन करवाना कैसे संभव है।
अनुमति में जरूरी लेकिन लगता कहीं पर भी नहीं
भवन निर्माण और बड़ी तथा भी कभी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बेईमानी होगी प्रशासनिक से लेकर जनप्रतिनिधि और शासन स्तर पर व्यवसायीक इमारतों में भी वाटर को लगाना ही उचित नहीं समझा तो हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य आम जनता से यह सिस्टम लगाना किया गया है। बारिश के पानी को सहेजने के लिए जरूरी है लेकिन शहर से लेकर पूरे जिले में कही पर अनेक समीक्षा बैठकों का दौर भी जल संरक्षण के लिए यह निरंतर चलता रहता है लेकिन इस हार्वेस्टिंग नहीं लगा हुआ है। पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसी सरकारी भवनों में भी नहीं है तो का नतीजा है कि सरकारी भवन से आम लोगों तथा बाजार की इमारतों लेकर निजी भवन और बड़ी इमारतें यांत्रिकी व मंडी से लेकर कलेक्ट्रेट जरुरी है इससे बारिश का पानी पर लगवाने के लिए अभियान में लगना तो दूर है जिन पर शहर तो धड़ल्ले से बनती जा रही है की जवाबदारी है उसी सरकारी तंत्र लेकिन कही पर भी यह सिस्टम में बैठे जवाबदारों ने अपने भवनों में नजर नहीं आ रहा है।
इनका यह कहना है
मैं इंदौर में थी, तब भी काफी भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाए थे। नीमच में भी शासकीय भवनों को दिखवाकर दुरूस्त करवाने के निर्देश जारी किए जाएंगे। अभी बारिश को समय भी है, आपने सही समय पर ठीक मुद्दा उठाया है।
– नेहा मीना, एडीएम नीमच।