
काव्य गोष्ठी...'देश को जो हाल, नेता सब हैं मालामाल, जनता हो रही कंगाल, दर्द किसको सुनाएं,काव्य गोष्ठी...'देश को जो हाल, नेता सब हैं मालामाल, जनता हो रही कंगाल, दर्द किसको सुनाएं,काव्य गोष्ठी...'देश को जो हाल, नेता सब हैं मालामाल, जनता हो रही कंगाल, दर्द किसको सुनाएं
सोहागपुर. होली व रंगपंचमी के अवसर पर नगर के तारबहार क्षेत्र स्थित श्री मधुर मिलन मैरिज गार्डन में शुक्रवार रात होली मिलन समारोह व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में सोहागपुर साहित्य परिषद के कवियों ने देर रात तक काव्य रंगों से श्रोताओं को सरोबार किया।
आयोजक व गार्डन संचालक विजय शर्मा व कार्तिक शर्मा ने बताया कि आयोजन के शुभारंभ उपरांत कवियों का गुलाल लगाकर फूल मालाओं से स्वागत किया गया। श्रोताओं को भी गुलाल लगाकर होली व रंगपंचमी पर्व की शुभकामनाएं दी गईं। नन्हीं बालिका जोया खान द्वारा गाए गए कर्णप्रिय गीत की सभी ने सराहना की। सोहागपुर साहित्य परिषद सचिव श्वेतल दुबे ने परिषद के घर-घर कविता अभियान की जानकारी दी तथा काव्य पाठ का शुभारंभ किया। इस दौरान श्रोताओं के रूप में जगदीश भावसार, राकेश चौधरी, संतोष सराठे, उमेश रघुवंशी, प्रशांत मालवीय, सतीश शुक्ला, आजाद सिंह ठाकुर, रामबाबू सराठे, रितिक भावसार, अखिलेश जमींदार, दीपक कोरी, ललित पटेल, प्रशांत पटेल, शुभम ठाकुर, दिव्यांश मालवीय, श्रवण भन्नारिया आदि उपस्थित थे।
इन्होंने सुनाई रचनाएं...
पं. राजेंद्र सहारिया- रंग और गुलाल की मची कीच गैल-गैल, हाथन में छैल धरे ढाल पिचकारी हंै।
शरद व्यास- सारा जग सूना लागे रे सजन बिन, बैरी दुख दूना लागे रे सजन बिन।
मथुराप्रसाद जोशी- मुंड हो गओ रे राम, जो कक्का मुंडा हो गओ रे।
राजेश शुक्ला- होली के मौसम में भांगी हो गए केले, छिपे-छिपे से घूम रहे हैं सब के सब एमएलए।
जलज शर्मा- हमदर्द के मारों को दीवाना बना देना, आता है तुझे नजऱों को मयखाना बना देना।
प्रबुद्ध दुबे, दीप- देश को जो हाल, नेता सब हैं मालामाल, जनता हो रही कंगाल, दर्द किस को सुनाएं जी।
श्वेतल दुबे- हो न कहीं किसी के मन में दुराचार की भावना, ली थी शपथ कभी हमारे संस्कारों ने।
शैलेंद्र शर्मा- मस्ती वाला रंग रंगीला होली का त्यौहार।
सौरभ सोनी, सौरभ- नजर, नवाज, नजारा न बदल जाए कहीं, जरा सी बात है मुंह से न निकल जाए कहीं।
संजय दीक्षित- पाक तुम्हारे कर्म नहीं, रंगों का कोई धर्म नहीं, भगवा इसका-हरा उसका, क्यों यह कहने में तुम्हें शर्म नहीं।
जीवन दुबे, पथिक- जीवन में रंगों को भरना होगा, हर रंग को अपना करना होगा।
अमित बिल्लौरे, अमृत- राहें जीवन की भले अंधियारी, पर मन में सजे उजियारे, हम रेवापुत्र हुरियारे।
Published on:
15 Mar 2020 05:53 pm
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