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मां मजदूर, पिता टेलर झोपड़ी में रहने वाला ये चौकीदार, ऐसे बना IIM प्रोफेसर

केरल के 28 वर्षीय रणजीत रामचंद्रन IIM-रांची में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बने है। पढ़ाई के साथ चौकीदार की नौकरी भी करते थे।

नई दिल्लीApr 12, 2021 / 01:01 pm

Shaitan Prajapat

 ranjith ramachandran

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नई दिल्ली। मेहनत, परिश्रम का परिणाम हमेशा सुखद होता है। कहते है ना मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं होता। जो लोग पूरी सच्चाई और ईमानदार से मेहनत करते है उनको सफलता जरूरत मिली है। अगर मन में कुछ करने का दृढ़ निश्चय हो और अपने लक्ष्य के सामने कितनी भी मुश्किले आ जाए वो अपने लक्ष्य को हासिल करके ही दम लेते है। आज आपको एक ऐसे शख्स के बारे में दिन में पढ़ाई करते थे और रात को चौकीदार की नौकरी। तिरपाल से ढकी झोपड़ी में रहने वाले केरल के रणजीत रामचंद्र (Ranjith Ramachandran) IIM-रांची में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बने है।

लंबा और संघर्ष से भरा सफर
IIM राँची में बीते दिनों केरल के रहने वाले रणजीत रामचंद्रन का असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर चयन हुआ है। 28 वर्षीय रणजीत रामचंद्रन ने इस मंजिल तक पहुंचने के लिए लंबा और संघर्ष से भरा सफर तय किया। उनका जीवन का सफर कई लोगों के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करने की प्रेरणा दे सकता है। शनिवार को रामचंद्रन ने सोशल मीडिया पर अपने घर की एक तस्वीर शेयर कर इसके कैप्शन में लिखा, इस घर में एक IIM असिस्टेंट प्रोफेसर का जन्म हुआ है। रणजीत ने एक साल पहले ही इकोनॉमिक्स में पीएचडी की है।

 

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पिता दर्जी और मां नरेगा में मजदूर
रणजीत केरल के कासरगोड जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता एक दर्जी हैं और मां एक मनरेगा मजदूर हैं। रणजीत अपने भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। उनका परिवार एक झोपड़ी में रहता है। पांच सदस्यीय परिवार के लिए झोपड़ी में एक रसोई और दो तंग कमरे हैं।

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दिन में पढ़ाई और रात को चौकीदार
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि यहां तक पहुंचने के लिए उनको काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने बताया कि एक वक्त ऐसा भी आया था जब मैंने आगे की पढ़ाई छोड़ने और परिवार की मदद करने के लिए एक छोटी नौकरी करने का सोचा। एक स्थानीय बीएसएनएल टेलीफोन एक्सचेंज में रात को चौकीदार की नौकरी मिली। उनको हर महीने 4,000 रुपये मिलते थे। इसके बाद उन्होंने अपने गांव के पास कॉलेज में दाखिला लिया। दिन के दौरान मैं कॉलेज गया और शाम को टेलीफोन एक्सचेंज में नौकरी करते। वह खाना खाने के लिए ही घर जाते थे। उन्होंने एक्सचेंज को अपने स्टडी रूम के साथ-साथ लिविंग रूम में बदल दिया था।

 

 

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