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माता दुर्गा की जगह ‘मजदूर मां’ की पूजा
कोलकाता के बेहला के बड़िशा क्लब ने इस बार दुर्गा पूजा पर अनोखी मूर्तियां सजाई हैं। मूर्ति में देवी दुर्गा की जगह एक प्रवासी मजदूर मां को गोद में बच्चा लिए दिखाया गया है। इस मूर्ति में साड़ी पहने एक महिला बिना कपड़े के बच्चे को अपनी गोद में उठाए हुए है। कमेटी ने न सिर्फ दुर्गा बल्कि मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की मूर्तियों की जगह भी प्रवासी मजदूरों की मूर्ति तैयार की हैं। दुर्गा पूजा कमेटी ने इन मूर्तियों के जरिए ना सिर्फ इन महिलाओं को सम्मान देने बल्कि इनकी तकलीफ को भी सामने लाने की कोशिश की है।
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सांकेतिक रूप से देवियों की तरह
कमेटी ने महिला प्रवासी मजदूर की प्रतिमा लगाई है। उसके गोद में एक बच्चा है, जिसने कपड़े नहीं पहन रखे हैं। वहीं, उसके साथ दो बेटियां भी हैं। यह सांकेतिक रूप से देवियों की तरह हैं। इनमें से एक के साथ में मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू है तो दूसरी मूर्ति के साथ मां सरस्वती का वाहन हंस है। चौथी मूर्ति के हाथ में हाथी है, जो सांकेतिक रूप से गणेश हैं।
प्रवासी मजदूरों की तस्वीरों ने सभी को झंकझोर दिया था
प्रवासी महिला मजदूरों की प्रतिमा बनाने वाले कलाकार रिंटू दास का कहना है कि उन्होंने प्रवासी कामगारों की हालत देखी है। जिसमें बिना किसी सहायता के चार बच्चों को साथ लेकर चलने वाली महिला को देखा था। आपको बता दें कि कोरोना के कारण कईयों की जान गई तो लाखों लोगों की नौकरियां तक चली गईं। इस महामारी का सबसे अधिक असर प्रवासी मजदूरों की जिंदगियों पर देखा गया। रोजगार छिन जाने के कारण अपने घरों को वापस जाने के लिए हजारों किलोमीटर पैदल चलते मजबूर प्रवासी मजदूरों के कितने वीडियो, फोटो सामने आए। लॉकडाउन के दौरान कई मजदूर महिलाओं को अपने बच्चों को गोद में उठाकर पैदल चलते हुए देखा गया तो कई ने रास्ते में ही बच्चों को जन्म दिया। सब जगह प्रवासी मजदूर महिलाओं की इन तस्वीरों ने पूरे देश को झंकझोर कर रख दिया।