विशेषज्ञों के अनुसार सैनिटाइजर का मूल घटना अल्कोहल है। एक आदर्श सैनिटाइजर में अन्य जरूरी तत्वों के साथ—साथ 70 प्रतिशत अल्कोहल होना चाहिए। यहां बता दें कि अल्कोहल ज्वलनशील प्रकृति का होता है। आग जल्दी पकड़ता है और जल्दी जल जाता है। इससे आग भी फैल सकती है। ऐसे में सैनिटाइजर को आग से दूर रखना चाहिए। कईं बार हम गैस सिलेंडर या कईं सामानों को सैनिटाइज करते हैं ऐसे समय में ध्यान रखें कि जब किसी भी चीज को सैनिटाइज करें तो उसके पास भी कईं कोई जलती हुई चीज ना हो।
सैनिटाइजर को ज्यादा गर्म जगह पर रखना भी घातक है। ऐसा एक मामला बीते दिनों आंध्र प्रदेश के पूर्व गोदावरी स्थित राजमुंदरी इलाके से सामने आया था। यहां एक व्यक्ति ने अपनी पावर बाइक में पेट्रोल टैंक के पास सैनिटाइजर की बोतल रख रखी थी। बाइक लंबे समय तक धूप में खड़ी रही। ऐसे में तपिश से सैनिटाइजर में ही आग लग गई। इसके बाद वहां हड़कंप मच गया। लोग आग को बुझाने में जुट गए। अगर यह आग पेट्रोल टैंक तक पहुंच जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था।
मार्केट में फर्जी सैनिटाइजर भी उपलब्ध, हो सकते हैं त्वचा रोग…
सैनिटाइजर की उपयोगिता और डिमांड ज्यादा होने के कारण इस समय छोटी दुकानों पर भी यह उपलब्ध है। लेकिन इन्हें खरीदने से पहले इनकी जांच भी कर लेनी चाहिए कि कहीं यह नकली तो नहीं। पहले तो अधिकृत मेडिकल शॉप से ही सैनिटाइजर खरीदना चाहिए। इसके अलावा यहां भी उसमें मौजूद तत्वों की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। दरअसल राजस्थान समेत देश के कईं इलाकों से ऐसे माले सामने आए हैं जहां सैनिटाइजर में ऐथेनाल की जगह घातक मेथेनाल मिलाकर बेचा जा रहा है। ऐसे सैनिटाइजर त्वचा के लिए भी हानीकारक होते है। विशेषज्ञों ने यह भी माना है कि साबुन और पानी से हाथ धोना ज्यादा कारगर है। सैनिटाइजर का उपयोग घर से बाहर होने या साबुन नहीं होने की स्थिति में ही किया जाना चाहिए।
आदर्श सैनिटाइजर में होने चाहिए यह तत्व…
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हैंड सैनिटाइजर में 70 प्रतिशत अल्कोहल होना चाहिए। इसके अलावा तय मानकों के अनुसार आइसोप्रोपिल अल्कोहल, ग्लिसरोल, हाइड्रोजन परॉक्साइड और स्टरलाइज वॉटर होना चाहिए।