रायपुर. संभवत: देश और दुनिया में छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरा कोई ऐसा इलाका नहीं हेागा जहां के लोगों के दिल ही नहीं रोम-रोम में राम बसे हैं। इस वर्ग के लोगों के पूरे शरीर पर राम नाम दर्ज होता है और वे जो कपड़े पहनते हैं उन पर भी राम दर्ज होता है। आमतौर पर गोदना हमेशा सीमित दायरे में ही रहा। वहीं छत्तीसगढ़ में एक ऐसा संप्रदाय है जिसने राम के नाम को अपने भीतर ऐसे समा लिया और राम के नाम में इतनी गहराई से डूबे कि अपने सारे अंगों में राम के नाम का गोदना करा लिया। वस्त्र राम नाम से रंग लिया।
रामनामी संप्रदाय ने पूरी तरह अपने को राम के रंग में रंग लिया है। उनका पूरा जीवन अपने आराध्य की भक्ति में लीन है। उनका मानना है कि उनके भगवान भक्त के बिना अधूरे हैं। सच्चे भक्त की खोज भगवान को भी होती है। छत्तीसगढ़ में यह पद्य बहुत चर्चित है कि हरि का नाम तू भज ले बंदे, पाछे में पछताएगा जब प्राण जाएगा छूट। रामनामी संप्रदाय के हिस्से में इस पछतावे के लिए जगह ही नहीं है क्योंकि उनका हर पल राम के नाम में लिप्त है। न केवल राम का नाम अपितु आचरण भी वे अपने जीवन में उतारते हैं।