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इंदौर

ओवर एज के बावजूद भारतीय क्रिकेट में बना रहे थे करियर, 150 खिलाड़ियों पर गिरी गाज

ऐसे करते हैं गड़बड़ी: जन्म प्रमाण-पत्र और अंकसूची सहित उम्र बताने वाले अन्य दस्तावेजों में गड़बड़ी करते हैं। पांच साल में हजार खिलाड़ियों पर जांच का शिकंजा कसा है।

इंदौरJan 08, 2022 / 08:41 pm

Faiz

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ओवर एज के बावजूद भारतीय क्रिकेट में बना रहे थे करियर, 150 खिलाड़ियों पर गिरी गाज

इंदौर. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की सख्ती के बावजूद झूठे जन्म प्रमाण-पत्र, फर्जी अंकसूची सहित अन्य दस्तावेजों से अधिक उम्र के बाद भी जूनियर क्रिकेट में शामिल होने वाले खिलाड़ियों का मिलना जारी है। मध्य प्रदेश क्रिकेट में पिछले पांच साल में कम उम्र बताने वाले 150 खिलाड़ी पकड़ में आ चुके है। प्रदेश के करीब एक हजार खिलाड़ियों की इस मामले में जांच की गई है।

मालूम हो, इस तरह की कारस्तानी में दो साल के प्रतिबंध समेत जूनियर क्रिकेट खेलने पर स्थायी प्रतिबंध का प्रावधान है। पिछले साल एमपीसीए ने ऐसे खिलाड़ियों को अपना झूठ कबूलने के लिए वबालेंट्री डिस्कलोजर स्कीम लॉन्च की थी। कुछ ने तो सही दस्तावेज पेश कर जुर्म कबूल लिया था, लेकिन कुछ ने उसमें भी झूठे दस्तावेज पेश किए थे।हालांकि, वो एमपीसीए की विजलेंस टीम से नहीं बच सके।

 

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शॉर्ट कट बिगाड़ रहा कैरियर

क्रिकेट में अंडर-13, 15, 19, 23 समेत सीनियर एज ग्रुप के टूनमेंट होते हैं। ज्यादा उम्र होने के बावजूद कम उम्र के एज ग्रुप में खेलकर मजबूत कैरियर बनाने के लिए फर्जीवाड़ा किया जाता है। एक बार ओवर एज मामले में दोषी पाए जाने पर भले ही अधिकृत सजा दो साल के लिए बैन की है, लेकिन दोषी खिलाड़ी का कैरियर लगभग खत्म हो जाता है।एमपीसीए की जांच में पकड़ाए 150 में से कुछ ही क्रिकेट खेल रहे हैं।


सजा के साथ संदिग्ध बढ़े

ओवर एज पर अंकुश को लेकर 2016 से सख्ती बढ़ाई गई है। पहले दोषी पर एक साल का बैन होता था, लेकिन 2020 से पूरे देश में ओवर एज मामले में गड़बड़ी करने वालों पर दो साल का बैन और जूनियर क्रिकेट खेलने पर बंदिश लगाई जा रही है। पंडित ने बताया, सजा के बावजूद संदिग्धों की संख्या बढ़ी है।

 

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अस्पताल से निगम तक पहुंच रही जांच टीम

एमपीसीए के सीईओ रोहित पंडित का कहना है कि, ओवर एज मामलों की जांच के लिए दो लोगों की टीम बनाई है। शिकायतों के अलावा खिलाड़ियों के दस्तावेज की रेंडम जांच होती है। पांच साल में मध्य प्रदेश के 1000 खिलाड़ियों की जांच की गई है, जिसमें 150 दोषी पाए गए हैं। खिलाड़ी के दस्तावेजों की जांच के लिए उनके स्कूल से लेकर जन्म स्थल, अस्पताल, नगर निगम, कॉलेज तक टीम जाती है। मेडिकल टेस्ट से सही उम्र जानने का प्रयास होता है। गड़बड़ सामने आने पर सजा दी जाती है।

 

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