scriptसंभाग के जिला कोर्ट में सिर्फ 72 जज, 179 पद हैं स्वीकृत | 179 posts approved but only 72 judges are in district court in indore division | Patrika News
इंदौर

संभाग के जिला कोर्ट में सिर्फ 72 जज, 179 पद हैं स्वीकृत

न्यायालयों में लगातार बढ़ती प्रकरणों की पेंडेंसी को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट लगातार प्रयास कर रहा है। वहीं जजों की कमी के चलते व्यवस्था नहीं सुधर रही है।

इंदौरDec 18, 2016 / 04:22 pm

Narendra Hazare

dist court

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विकास मिश्रा@इंदौर। 

न्यायालयों में लगातार बढ़ती प्रकरणों की पेंडेंसी को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट लगातार प्रयास कर रहा है। वहीं जजों की कमी के चलते व्यवस्था नहीं सुधर रही है।

इंदौर संभाग में जिला कोर्ट के साथ महू, देपालपुर, सांवेर और हातोद के न्यायालयों में न्याय व्यवस्था के लिए 179 पद सरकार ने स्वीकृत कर रखे हैं, लेकिन यहां 72 जज ही पदस्थ हैं और 107 पद खाली हैं। संभाग की कोर्ट में 1 लाख 33 हजार 591 केस पेंडिंग हैं। इंदौर जिला कोर्ट में एक महीने पहले तक जजों के 100 पद स्वीकृत थे, सरकार ने इसे बढ़ाकर 149 कर दिया है, लेकिन अभी 60 जज ही नियमित सुनवाई कर रहे हैं। हाई कोर्ट की इंदौर पीठ में 13 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 8 जज ही काम संभाल रहे हैं। यहां 55 हजार से अधिक केस पेंडेंसी है।

> 149 पद स्वीकृत हैं सिर्फ इंदौर जिले में
> 60 जज पदस्थ हैं सिर्फ इंदौर जिले में
> 13 पद स्वीकृत हैं हाई कोर्ट में
> 8 जजों की ही हाई कोर्ट में नियुक्ति
> 7-7 दिन के लिए कुटुम्ब न्यायालय के दो जजों को मंडलेश्वर बड़वानी किया है लिंक

indore nagar nigam

यह भी अव्यवस्था: औद्योगिक क्षेत्र के कचरे की कब लेंगे सुध

शहर को कचरा मुक्त बनाने और केंद्र सरकार के स्वच्छता अभियान को बल देने के लिए नगर निगम शहरी क्षेत्र में डोर टू डोर कलेक्शन कर कचरा एकत्र कर रहा है, लेकिन शहर के औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले कचरे पर उसका ध्यान नहीं है।

सांवेर रोड, पोलाग्राउंड और पालदा औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगपति कचरे को अपने स्तर पर खुले स्थानों पर फेंकने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि नगर निगम हमसे संपत्ति कर, स्वच्छता कर सहित तमाम टैक्स तो वसूल रहा है, लेकिन यहां से कचरा उठाने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की है। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र (एमआईएमपी) ने इस संबंध में उद्योग विभाग, पर्यावरण एवं आवास मंत्रालय तथा मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से हस्तक्षेप कर व्यवस्था सुधारने की मांग की है।

संगठन के सचिव योगेश मेहता ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र से दो तरह का कचरा निकलता है। इसमें खतरनाक कचरा, जिसमें केमिकल आदि शामिल होते हैं, को उद्योग पीथमपुर स्थित रामकी संयंत्र भेज देते हैं, लेकिन सामान्य कचरे के लिए यहां नगर निगम ने कोई व्यवस्था नहीं की है। मजबूरन उद्योगपति फैक्ट्रियों में निकलने वाले ऐसे कचरे को गाडिय़ों के माध्यम से खुले मैदानों पर फिंकवा कर जलवा देते हैं। इससे उद्योग तथा क्षेत्रीय रहवासियों को परेशानी होने के सथ ही पर्यावरण भी दूषित होता है। इस समस्या के निराकरण पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
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