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आशा डायरी घोटाला : अफसरों को नहीं पता , छप गई सामग्री

आरोग्य कार्ड सहित अन्य सामग्री खा रही धूल अधिकारी एक ओर के खाली पेज का कर रहे उपयोगविभाग के करोड़ों रुपए हुए बर्बाद स्टेशनरी खरीदी की जांच में ही मिल जाएगा गुलजार का बड़ा फर्जीवाड़ा

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आशा डायरी घोटाला : अफसरों को नहीं पता , छप गई सामग्री

आशा डायरी घोटाला : अफसरों को नहीं पता , छप गई सामग्री

इंदौर ।

बगैर वर्क ऑर्डर आशा डायरी ही नहीं, आरोग्य कार्ड सहित अन्य सामग्री व दस्तावेज छपकर स्वास्थ्य विभाग में धूल खा रहे हैं। ये दस्तावेज पेपर्स अधिकारियों के रफ कार्य में काम आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के पालिका प्लाजा या फिर सीएमएचओ कार्यालय में जगह-जगह रद्दी के ढेर लगे दिख जाएंगे। कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक रद्दी में पड़े दस्तावेज यानी आरोग्य कार्ड सहित अन्य पर्चों के बारे में नहीं जानते कि ये किसके आदेश पर और किस कार्य के लिए छपाए।सरकारी पैसों का दुरूपयोग देखना हो तो स्वास्थ्य विभाग में एक बार घूम आइए। पता चल जाएगा कैसे अफसर और सप्लायर का गठबंधन सरकार के खजाने को खाली करने में लगा है। गुलज़ार नामक सप्लायर स्वास्थ्य विभाग में स्टेशनरी से लेकर मेडिकल उपकरण तक सप्लाय करता है। उसकी अलग-अलग फर्म ये काम करती हैं।

बता दें, दो दिन पहले कलेक्टर मनीष सिंह ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक ली थी, तब खरीदी प्रक्रिया की समीक्षा के दौरान भारी अनियमितताएं सामने आई थीं। उन्होंने विभाग में गहरी पैठ रखने वाले सप्लायर गुलजार की संलिप्तता पाई थी, जिस पर उसके खिलाफ जांच कर एफआईआर के निर्देश दिए थे। अपर कलेक्टर अभय बेडेकर मामले में जांच कर रहे हैं। बेडेकर के नेतृत्व में एक जांच दल सीएमएचओ कार्यलय भी पहुंचा था। घंटों जांच-पड़ताल के बाद कुछ दस्तावेज दल साथ ले गया। जांच दल को अकाउंट के साथ ही कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भी हाथ लगे हैं।

बाद में होती कागजी खानापूर्ति

विभाग में सप्लायर गुलजार के रसूख का आलम यह है कि वह मर्जी से ही दस्तावेज सहित अन्य स्टेशनरी प्रिंटिंग कर भिजवा देता। फिर विभाग ने ऑर्डर दिया हो या नहीं। बाद में सारी कागजी खानापूर्ति होती रहती। बगैर वर्क ऑर्डर ही सारा काम होता रहता था। गनीमत है कि खरीदी प्रक्रिया की समीक्षा के दौरान उसकी गड़बड़ी कलेक्टर की पकड़ में आ गई। वह वर्षों से विभाग में सप्लायर के रूप में कार्य कर रहा था।

कोरोना कॉल में ही बड़ा घोटाला

सूत्रों का कहना है कि यदि प्रशासन ने निष्पक्षता से कोरोना काल में गुलजार सप्लायर की अलग-अलग फर्म द्वारा विभाग में सप्लाई की गई सामग्री के संबंध में जांच कर ली तो करोड़ों का घोटाला सामने आएगा। फिलहाल प्रशासन ने गुलजार और शाहरुख की संपत्तियों की जानकारी जुटा ली है। इन संपत्तियों की जांच के बाद प्रशासन आगामी कार्रवाई की तैयारी में है।