
सर्पदंश तो सावधान : जिला अस्पताल में मरीज को न लाएं... चली जाएगी जान, इलाज नहीं मिलेगा
अनिल धारवा @ इंदौर ।
मानसून के दौरान सर्पदंश की घटनाएं बढ़ने लगती हैं। इंदौर के एकमात्र गरीबों व ग्रामीणजन की आशा का केंद्र जिला अस्पताल में अफसरों की निष्क्रियता मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है। यहां सर्पदंश के मरीज आते हैं तो उन्हें उचित उपचार नहीं मिल रहा। अस्पताल में एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन तो है, लेकिन मरीज के उपचार के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यहां से मरीजों को एमवायएच रैफर कर दिया जाता है। इस भागदौड़ में कई बार मरीज की जान चली जाती है, जैसी परसों छोटू की चली गई।
जिला अस्पताल में इंदौर ग्रामीण के साथ ही आसपास की तहसील और अन्य जिलों से भी मरीज बड़ी संख्या में उपचार के लिए पहुंचते हैं। यहां वैसे तो वर्तमान में नई बिल्डिंग बन रही है, लेकिन जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ताबड़तोड़ मरीजों की सुविधा के नाम जिला अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा, प्रसूति वार्ड सहित अन्य सुविधाएं शुरू तो कर दी, लेकिन मरीजों को अभी भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जिला अस्पताल से अन्य अस्पतालों के बजाय मरीजों को सीधे एमवायएच ही रैफर किया जाता है। जिला अस्पताल से एमवायएच तक पहुंचने वाले मरीजों को शहर के ट्रैफिक को पार करना पड़ता है। शहर में स्वास्थ्य विभाग के और भी अस्पताल हैं, जहां पर्याप्त सुविधाएं हैं, लेकिन अधिकतर अस्पताल केवल महिलाओं की डिलिवरी तक ही सीमित हैं।
32 क्वार्टर तैयार, आईसीयू वार्ड नहीं
जिला अस्पताल के जिम्मेदारों की मानें तो सर्पदंश के मरीज आने पर उन्हें इंजेक्शन देना ही पर्याप्त नहीं है। आईसीयू की व्यवस्था भी बहुत जरूरी है। सर्पदंश के मरीज को लक्षण देख उस हिसाब से उपचार किया जाता है। 10 इंजेक्शन से लेकर 30-40 तक लगाए जा सकते हैं।
यहां से वहां भेजा, हो गई मौत
बता दें कि परसों जवाहर टेकरी निवासी 18 वर्षीय छोटू पिता मुकेश की सर्पदंश से मौत हो गई। परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन वहां उपचार नहीं मिला और एमवायएच भेज दिया गया। सिविल सर्जन जिला अस्पताल डॉ. प्रदीप गोयल का कहना है कि अस्पताल में फिलहाल आईसीयू की व्यवस्था नहीं होने से मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा। एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन पर्याप्त संख्या में हैं। दूसरी ओर आपातकालीन सेवा में तैनात डॉ. सतीश नीमा का कहना है कि एक मरीज को एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन 10 से अधिक डॉक्टर के मार्गदर्शन में मरीज की स्थिति के अनुसार दिए जाते हैं। ऐसे समय में मरीज को आईसीयू वार्ड में ही रखा जाता है। जिला अस्पताल की बिल्डिंग का निर्माण कार्य चलने से पूरी क्षमता से शुरू नहीं किया गया है। अस्पताल में इंजेक्शन तो है, लेकिन मरीज के लिए आईसीयू सुविधा नहीं है।
एमवायएच में पर्याप्त इंजेक्शन
इधर, एमवायएच में इस मौसम में सर्पदंश के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इंदौर ही नहीं, आसपास के कई जिलों से मरीज आते हैं। इसी को ध्यान में रख इंजेक्शन का पर्याप्त स्टॉक रखा जाता है। यहां 20 से 25 मरीज महीने में आ जाते हैं। अधीक्षक पीएस ठाकुर का कहना है बारिश में ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हो जाता है। इसके हिसाब से पर्याप्त स्टॉक रखा जाता है।
सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क
एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों में मरीजों को फ्री मिलता है। इसी वजह से शहर के अधिकतर मेडिकल स्टोर पर यह नहीं मिलता। बहुत ही कम स्टोर्स पर मिल पाता है। सर्पदंश के अधिकतर केस ग्रामीण क्षेत्रों से ही आते हैं। ग्रामीण भी पहले मरीज को बाबाओं, सर्प का जहर उतारने वालों, झाड़-फूंक करने वालों के पास ले जाते हैं। जब मरीज की हालत बिगड़ने लगती है, तब निजी अस्पतालों के बजाय सरकारी अस्पताल ले जाते हैं।
Published on:
06 Sept 2022 11:32 am
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