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ये कैसी व्यवस्था: कर्मचारी को गड़बड़ी में किया अटैच, अफसर ने साथ में वहीं जिम्मेदारी सौंपी

कलेक्टर तक पहुंची थी मान्यता नवीनीकरण में गड़बड़ी की शिकायतदो कर्मचारियों की से हुई रवानगी

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ये कैसी व्यवस्था: कर्मचारी को गड़़बड़ी में किया अटैच, अफसर ने साथ में वहीं जिम्मेदारी सौंपी

इंदौर।

निजी स्कूलों की मान्यता में गड़बड़ी के आरोपों के चलते कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के मान्यता सेक्शन प्रभारी सचिन तिवारी और ऑपरेटर फरीद खान को निर्वाचन कार्यालय में अटैच करने के निर्देश दिए थे। दोनों को जिला शिक्षा अधिकारी ने निर्वाचन कार्यालय में उपस्थिति देने के निर्देश दिए हैं। निर्वाचन कार्यालय में अटैच करने के साथ मान्यता का काम तिवारी ही देखेंगे। आदेश में इस बात का उल्लेख डीईओ ने किया है। इस आदेश पर सवाल भी उठने लगे हैं।

बता दें, कि पिछले दिनों डीईओ मंगलेश व्यास ने 293 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी थी, जिसे लेकर निजी स्कूल एसोसिएशन ने उच्च स्तर पर गड़बडिय़ों की शिकायतें तक की थी। एसोसिएशन का आरोप था कि जब बीआरसी के माध्यम से मान्यता नवीनीकरण की अनुशंसा की गई तो डीईओ कार्यालय ने कमी आदि बताकर नियमों के खिलाफ जाकर मान्यता रद्द की। डीईओ ने मान्यता रद्द करने के जो कारण बताए थे, वे मान्यता नियमों में आते ही नहीं। वहीं अपील की सुनवाई तक नहीं हो रही थी।

इस मामले में लोक शिक्षण आयुक्त ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को अपील सुनने के निर्देश दिए। कलेक्टर मनीष सिंह ने इंदौर में अपर कलेक्टर राजेश राठौर को अपील अधिकारी नियुक्त किया। इस सुनवाई में भी आरोप-प्रत्यारोप लगे। मामला कलेक्टर तक पहुंचा। जिस पर मान्यता सेक्शन प्रभारी तिवारी और ऑपरेटर खान को निर्वाचन में अटैच किए जाने के निर्देश कलेक्टर ने डीईओ को जारी कर दिए।

नर्वाचन से ही देखेंगे मान्यता का काम

शिकायत के आधार पर निर्वाचन कार्यालय में अटैच बाबू को ही मान्यता नवीनीकरण का जिम्मा डीईओ ने सौंप दिया है। लिखित आदेश देकर डीईओ कार्यालय के सहायक ग्रेड तीन सचिन तिवारी को कार्यालय से कार्यमुक्त कर तत्काल प्रशासनिक संकुल कक्ष 216 में उपस्थिति देने के निर्देश दिए गए। इसके साथ डीईओ ने आदेश में उन्हें आरटीई मान्यता का काम भी सौंप दिया। तिवारी कलेक्टर कार्यालय से ही लंबित मान्यता के मामले देखेंगे। इस आदेश को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। आरोप लगने के बाद भी अफसर मान्यता का कार्य अन्य बाबुओं को नहीं सौंप रहे हैं, जबकि विभाग के पास बाबू से लेकर शिक्षकों की कमी नहीं है।