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22 माह बाद भी कलेक्टर को नहीं पता, नियम विरुद्ध बिक रहा एसिड

एसिड अटैक पीड़िता ने दायर की है जनहित याचिका, करीब डेढ़ साल बाद हुई सुनवाई। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के उल्लंघन के सबूत किए पेश।

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इंदौर. एसिड अटैक की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में इसकी बिक्री के लिए एक सख्त गाइड लाइन बनाई है। इसके बावजूद शहर में खुले आम एसिड बिक्री हो रही है। नियमों को ताक पर रखकर की जा रही इस बिक्री के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर करीब डेढ़ साल बाद सुनवाई हुई। जस्टिस सुजोय पॉल और जस्टिस प्रणय वर्मा की युगल पीठ में कलेक्टर की ओर से जवाब पेश किया जाना था, लेकिन 22 माह बाद भी जवाब पेश करने के बजाए शासन के वकील ने समय मांगा है। कोर्ट ने चार सप्ताह बाद होने वाली अगली सुनवाई से पहले जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

ये है नियम
- एसिड के किसी भी रूप को बेचने के लिए अलग से लाइसेंस लेना जरूरी है।
- जिसे भी एसिड बेचा जाता है उससे इस्तेमाल की वजह लिखित में लेना होती है।
- एसिड खरीदने वाले के आधार कार्ड की कॉपी भी लेना होती है।
- कितनी मात्रा में एसिड लिया और बेचा गया उसका पूरा रिकॉर्ड रखना होता है।
- यदि नियम विरुद्ध बिक्री हो रही है तो एसडीएम उसके खिलाफ 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगा सकते हैं।

कोर्ट ने फिर पूछा, नियमों को ताक पर रखकर एसिड कैसे बेचा जा रहा है ? ऐसी बिक्री करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है? प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भी नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन उनकी ओर से भी जवाब नहीं मिला है। शहर की एसिड अटैक पीड़िता ने एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान के माध्यम से यह याचिका दायर की है। गुप्ता ने बताया, हमने शहर की 50 दुकानों की जानकारी दी है जहां पर गलत तरीके से एसिड बेचा जा रहा है।