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हुकमचंद मिल : जमीन की लीज निरस्ती से जुड़ा प्रस्ताव हाई कोर्ट से खारिज

- मजदूरों की 21 साल पुरानी याचिका से जुड़े आवेदन कोर्ट ने किए स्वीकार  

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इंदौर. हुकमचंद मिल की करीब साढ़े 42 एकड़ जमीन की लीज निरस्त करने का नगर निगम का प्रस्ताव हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मजदूरों की करीब 21 साल पुरानी याचिका से जुड़े दो आवेदन स्वीकार करते हुए कोर्ट ने शासन, डीआरटी और परिसमापक को आदेश दिए हैं कि वे जल्द से जल्द मिल की जमीन नीलामी कर मजदूरों को उनके करीब 179 करोड़ रुपए चुकाएं। पिछले महीेने आवेदनों पर सुनवाई के बाद जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने आदेश सुरक्षित रखा था, जो बुधवार को सुनाया गया है। सुनवाई के दौरान मजदूरों के वकील धीरज सिंह पंवार ने कहा कि मजदूरों को उनके हक के 179 करोड़ रुपए नहीं मिलने तक जमीन की लीज निरस्त नहीं की जानी चाहिए। लीज निरस्त होने से एक बार फिर मजदूरों को राशि मिलने में दिक्कत होगी। पूर्व में हाई कोर्ट लीज निरस्त नहीं करने को लेकर निर्देश जारी कर चुका है। नगर निगम के वकील का तर्क था कि मजदूरों को उनका बकाया पैसा चुकाने की जिम्मेदारी नगर निगम की नहीं है। जमीन उद्योग चलाने के लिए लीज पर दी थी, जब मिल बंद हो गई है तो निगम को अधिकार है कि वह जमीन पर कब्जा लेकर लीज निरस्त कर सकता है। मजदूरों को उनका पैसा देने को लेकर शासन के पास प्रस्ताव है और उस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। सभी पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने लीज निरस्ती के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने नीलामी की समय-सीमा तय नहीं की है।

मजदूरों को सिर्फ 50 करोड़ मिले

मजदूरों के वकील धीरज पालीवाल ने बताया कि करीब 30 वर्ष पहले मिल बंद हुई थी। मिल के 5800 मजदूरों का 229 करोड़ रुपए बकाया था। कोर्ट की सख्ती के बाद सिर्फ 50 करोड़ रुपए मिले हैं। 179 करोड़ रुपए बाकी है। इस दौरान 2200 मजदूरों की मौत हो चुकी है और उनके वारिस पैसों के लिए परेशान हो रहे हैं। मजदूर संघ के नरेंद्र श्रीवंश और हरनाम सिंह धालीवाल ने बताया, कोर्ट की सख्ती के बाद भी सरकार पैसा देने के लिए सार्थक प्रयास नहीं कर रही है। कोरोना काल में भी 350 से अधिक मजदूरों की मौत हो चुकी है। हमारी मांग है कि जल्द से जल्द मिल की जमीन नीलाम हो और मजदूरों को उनका पैसा मिले।