इस विशेष दिन पर ही शहर का गौरव दिवस मनाने के पीछे इन सुझावकर्ताओं का तर्क था कि, देवी अहिल्या इंदौर का गौरव रही हैं। दुनियाभर में उन्हीं के नाम से इस शहर को पहचाना जा रहा है। इसलिए इंदौर का जन्मदिन या गौरव दिवस उन्हीं की स्मृति से जोड़कर मनाना सबसे उचित होगा।
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समिति करेगी ये काम
समिति अब देवी अहिल्या से जुड़े इतिहास, उनके जन्मदिन, इंदौर में बहू बनकर आने वाले दिन या राज्यभार संभालने वाले दिन को देखेगी। फिर इन्हीं में से एक पर अंतिम मुहर लगाकर सरकार को भेजेंगे। पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ कि समिति में सांसद शंकर लालवानी, आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा, कलेक्टर मनीष सिंह और निगमायुक्त प्रतिभा पाल होंगे।
लता मंगेशकर के नाम का भी सुझाव
बैठक के दौरान विधायक रमेश मेंदोला ने गौरव दिवस को देवी अहिल्या के जन्मदिन पर मनाने की राय तो दी ही। साथ ही साथ उन्होंने शहर का नाम बदलकर अहिल्या नगरी रखने की भी बात रखी। वहीं, विधायक आकाश विजयवर्गीय ने लता मंगेशकर ने सुझाव दिया कि, शहर का गौरव दिवस लता मंगेशकर की पुण्यतिथि के दिन को चुनना चाहिए।
कवि सत्यनारायण ने जताई नाराजगी
बैठक में शामिल शहर के प्रबुद्धजन कवि सत्यनारायण सत्तन ने विशेष दिन पर चर्चा के बाद प्रस्ताव सरकार को भेजने पर नाराजगी जाहिर की। उनका तर्क था कि, इसे जन्मदिन का नाम न देते हुए सिर्फ गौरव दिवस के रूप में ही मनाया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि, जब सब कुछ सरकार द्वारा ही किया जाएगा तो फिर हमें क्यों बुलाया गया है?
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यहां बनेगा देवी अहिल्या स्मारक
इंदौर में सालों से चल रही देवी अहिल्या बाई होलकर स्मारक की स्थापना भी जल्द ही होने वाली है। प्रशासन ने इसके लिए पुराने आरटीओ (रामपुर कोठी) की जमीन देने का फैसला लिया है। इस जमीन के साथ लगी 3 एकड़ जमीन अभी संस्कृति विभाग के पास है, जिसे राजस्व विभाग को हस्तांतरित करने का पत्र कलेक्टर मनीष सिंह ने लिखा है। इस आधार पर संभागायुक्त ने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख जमीन राजस्व विभाग को हस्तांतरित को कहा है। कलेक्टर ने बताया कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन व सांसद शंकर लालवानी इस संबंध में प्रयासरत थे। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने इंदौर प्रवास के दौरान इंदौर में ही देवी अहिल्या स्मारक की स्थापना करने की घोषणा की थी।
ट्रस्ट का होगा अधिपत्य
प्रस्तावित स्मारक पर आधिपत्य देवी अहिल्या बाई होलकर स्मारक प्रतिष्ठान ट्रस्ट का होगा। इसमें शासन की ओर से संभागायुक्त, कलेक्टर होंगे, वहीं महाजन इसकी अध्यक्ष हो सकती हैं। ऐसे में संस्कृति विभाग से 3 एकड़ जमीन राजस्व विभाग को देने के लिए कार्रवाई करना होगी, ताकि ट्रस्ट को जमीन दी जा सके।
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