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शरीर पर लाल चट्टे हो तो हल्के में ना ले, अब स्क्रब टाइफस का खतरा

कोरोना और मंकी पॉक्स वायरस के बाद नई बीमारी खतराबच्चों को सबसे अधिक खतरा, कोलकाता में मिले कई मरीज  

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शरीर पर लाल चट्टे  हो तो हल्के में ना ले, अब अब स्क्रब टाइफस का खतरा

शरीर पर लाल चट्टे हो तो हल्के में ना ले, अब अब स्क्रब टाइफस का खतरा

इंदौर ।

कोरोना संक्रमण और मंकी पॉक्स के बीच एक नई बीमारी स्क्रब टाइफस दस्तक दे रही है। यह बीमारी बड़ों के साथ ही बच्चों को भी तेजी से प्रभावित कर रही है। देश के कुछ राज्यों में अनेक मरीज अब तक सामने आ चुके हैं। इंदौर शहर में तो फिलहाल मरीज सामने नहीं आए हैं। स्वास्थ्य विभाग भी इस बीमारी को लेकर अलर्ट है।

दरअसल, कोलकाता में स्क्रब टाइफस के मामले की पुष्टि होने के बाद कई राज्यों में दहशत का माहौल बन गया है। पशुओं से इंसानों में फैलने वाली इस बीमारी में सबसे अधिक बच्चे चपेट में आ रहे हैं। अभी तक इंदौर शहर में जरूर अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों में जरूर इस बीमारी लक्षण बच्चों में नजर आए हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमंत जैन अनुसार मवेशियों पर चिपके पिस्सू के काटने से स्क्रब टाइफस होता है। इसमें तेज बुखार और शरीर पर लाल चट्टे होना प्रमुख लक्षण हैं। यदि किसी बच्चे या व्यक्ति में यह लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉ. जैन के मुताबिक इस बीमारी का सटीक उपचार भी उपलब्ध है। यह बीमारी बारिश के मौसम में अधिक होती है। इधर, प्रभारी सीएमएचओ डॉ. प्रदीप गोयल ने बताया कि फिलहाल इस बीमारी के मरीज तो सामने नहीं आए हैं, लेकिन हम सावधानियां रखे हुए हैं। जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में आने वाले मरीजों में इस तरह के लक्षण नजर आने पर तुरंत उपलब्ध उपचार करने की सलाह सभी चिकित्सकों को दी है।

बुखार आना और ठंड लगना लक्षण

जानकारों की मानें तो यह एक वैक्टर जनित बीमारी है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स नामक यह कीड़ा (उडऩे वाला पिस्सू) जब काटता है तो शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। यह समय के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कार्डियो वस्कुलर सिस्टम, गुर्दे, सांस से जुड़ी और गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित करता है। कई मामलों में मल्टी ऑर्गन फेल्योर से भी रोगी की मौत हो सकती है। इसके लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है। इसके अलावा सिर, शरीर और मांसपेशियों में दर्द, लाल चकत्ते भी उभरते हैं। बीमारी बढ़ने पर काटने वाली जगह का रंग गहरा लाल या काला हो जाता है।

बारिश में अधिक मरीज

डॉ. जैन ने बताया कि वैसे तो इस बीमारी का बहुत सामान्य उपचार है, लेकिन मरीज समय पर उपचार करा ले तो सात दिन में स्वस्थ हो जाता है। वैसे तो सालभर इसके मरीज आते रहते हैं, लेकिन बारिश में इनकी संख्या बढ़ जाती है। कई बार मरीज को अस्पताल में भर्ती तक किए जाने की जरूरत पड़ जाती है।

बीमारी से बचने के उपाय

फुल आस्तीन शर्ट और पेंट पहनें तथा मच्छरदानी का उपयोग करें।

गाय, कुत्ते तथा अन्य जानवरों के संपर्क में आने के समय सावधानी रखें।

घर तथा आसपास सफाई रखें तथा पानी का भराव नहीं होने दें।

समय पर चिकित्सक से संपर्क कर बचाव संभव।

मवेशियों के बाड़े से बच्चों को दूर रखें।