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नर्सिंग होम : फायर एनओसी नहीं तो डलेंगे ताले

प्रशासन के साथ स्वास्थ्य विभाग की बैठक में निर्णय 300 से अधिक नर्सिंग होम, केवल 72 के पास फायर एनओसी अधिकतर हॉस्पिटल आवासीय इमारतों व संकरी गलियों में

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CMHO Office

नर्सिंग होम : फायर एनओसी नहीं तो डलेंगे ताले

इंदौर ।

जबलपुर में निजी अस्पताल में लगी आग में आठ से अधिक लोगों की मौत के बाद प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने शहर में नर्सिंग होम पर शिकंजा कसा है। इन्होंने कई बार नोटिस देने के बाद भी फायर एनओसी अब तक अपलोड नहीं की है। अब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ऐसे नर्सिंग होम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। इस संबंध में कल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की बैठक में निर्णय लिया गया कि निगम, स्वास्थ्य विभाग और इलेक्ट्रिकल विभाग के अधिकारियों का तीन सदस्यीय दल ऐसे नर्सिंग होम पर सख्ती से कार्रवाई करेगा। ताले तक डाले जाएंगे। जब तक फायर एनओसी नहीं पेश करेंगे नर्सिंग होम का संचालन नहीं कर पाएंगे।

कलेक्टर के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ऐसे नर्सिंग होम पर शिकंजा कस रहा है, जहां फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। वैसे भी प्रदेश में अनेक हॉस्पिटल ऐसे हैं, जहां आग की घटनाएं होने पर व्यवस्थाओं की पोल खुल गई और जान-माल का नुकसान तक हुआ। ऐसा ही पिछले दिनों जबलपुर के निजी हॉस्पिटल में शॉर्ट सार्किट से आग लगने के कारण हुआ। इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेशभर के हॉस्पिटलों में फायर सेफ्टी की व्यवस्था अनिवार्य कर दी थी, जिसके चलते मप्र नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पतालों ने पंजीयन के लिए अब फायर एनओसी अनिवार्य की है। बिना इसके अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन या नवीनीकरण नहीं होगा।

72 ने ही दी

प्रभारी सीएमएचओ डॉ. प्रदीप गोयल ने बताया कि इंदौर में 300 से अधिक नर्सिंग होम हैं। इनको जबलपुर की घटना के बाद विभाग ने नोटिस जारी कर फायर एनओसी मांगी थी। इसके लिए विभाग ने शुरुआत में सात दिन दिए थे। बाद में समय की मांग किए जाने पर दस दिन का अतिरिक्त समय दिया। इस अवधि के बाद भी अब तक केवल 72 नर्सिंग होम ही एनओसी दे पाए हैं।

आवासीय इमारतों में चल रहे

शहर में 60 से अधिक हॉस्पिटल ऐसे हैं, जो बगैर फायर एनओसी के संचालित हो रहे हैं। 40 से अधिक तो आवासीय इमारतों में चल रहे हैं। आग लगने की स्थिति में इनमें बचाव के साधन नहीं हैं। कुछ इतनी कम जगह में बने हैं कि आग लगने पर भीतर फंसे लोगों को बाहर निकलने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। कुछ हॉस्पिटल संकरी सड़कों पर हैं, जहां आग लगने पर दमकल पहुंच नहीं सकती। निगम ऐसे हॉस्पिटलों को प्रॉविजनल एनओसी देने से इनकार कर चुका है। आवासीय इमारतों में संचालित होने वाले हॉस्पिटल नक्शे से अधिक निर्माण भी कर चुके हैं। कंपाउंडिंग के बाद भी अवैध निर्माण आ रहा है, जिसके चलते निगम इन हॉस्पिटलों को फायर एनओसी नहीं दे रहा।

मेयर से भी नहीं मिली राहत

आईएमए ने नवनियुक्त महापौर पुष्पमित्र भार्गव का चुनाव के बाद सम्मान समारोह रखा था, जहां आवासीय इमारतों में चल रहे नर्सिंग होम को एनओसी दिए जाने की मांग रखी थी ताकि राहत मिल सके, लेकिन महापौर ने नियम-कायदे की बात कर मंसूबों पर पानी फेर दिया। वहीं पिछले दिनों महापौर ने बैठक में साफ कर दिया कि नियमानुसार ही कार्य होंगे। इसके बाद नर्सिंग होम संचालकों की उम्मीद भी खत्म हो गई।

तीन सदस्यीय दल करेगा कार्रवाई

प्रशासन के साथ बैठक में तय हुआ है कि जिन नर्सिंग होम ने एक्ट के तहत फायर एनओसी अपलोड नहीं की है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। तीन सदस्यीय दल बनाकर ऐसे नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब सीधे कार्रवाई होगी। बगैर फायर एनओसी नर्सिंग होम का संचालन नहीं कर पाएंगे।

डॉ. प्रदीप गोयल,

प्रभारी सीएमएचओ