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इंदौर

सीएम हेल्पलाइन में 20 से अधिक रैकिंग तो कटेगी सात दिन की तनख्वाह

कलेक्टर बोले – लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं

इंदौरFeb 13, 2024 / 09:12 am

Mohit Panchal

सीएम हेल्पलाइन में 20 से अधिक रैकिंग तो कटेगी सात दिन की तनख्वाह

सीएम हेल्पलाइन में 20 से अधिक रैकिंग तो कटेगी सात दिन की तनख्वाह

इंदौर। आम जनता की समस्या का समय पर निराकरण के लिए शासन ने सीएम हेल्पलाइन शुरू की, लेकिन अफसर उस पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसके चलते कलेक्टर ने समय सीमा (टीएल) की बैठक में सभी को हिदायत देकर साफ कर दिया कि 20 से अधिक रैंकिंग वालों की सात दिन की तनख्वाह काटी जाएगी। लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सरकारी कामकाज की समीक्षा करने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने सभी विभागों के प्रमुख या उनके प्रतिनिधियों की बैठक ली। इसमें जिला पंचायत सीइओ सिद्धार्थ जैन, अपर कलेक्टर गौरव बेनल, सपना लोवंशी, रोशन राय और राजेन्द्र रघुवंशी मौजूद थे। चर्चा के दौरान उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में लंबित शिकायतों को देखते हुए नाराजगी जाहिर की। कलेक्टर का कहना था कि समय सीमा में इनका निराकरण किया जाना हो। लापरवाही बिलकुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
20 से अधिक रैंकिंग रहने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सात दिन की तनख्वाह काटी जाएगी, वहीं लगातार निगरानी भी रखी जाएगी। ये सुनते ही कुछ अफसरों के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं। उन्होंने 15 फरवरी को बढि़याकीमा में रेती मंडी व 16 फरवरी को नायता मुंडला में बस स्टैंड शुरू करने करना है, जिसको लेकर बचे काम पूरे करने के लिए आइडीए और निगम अफसरों को कहा है।
15 फरवरी तक बाल भिक्षुक मुक्त शहर

कलेक्टर सिंह ने शहर को 15 फरवरी तक बाल भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए चल रहे अभियान को और अधिक गति देने का कहा है। इसके लिए अब सभी एडीएम और जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी भी अभियान का हिस्सा होंगे। सभी चौराहों और मंदिरों को बाल भिक्षुकों से मुक्त करने की कार्रवाई होगी, जिसमें वे भी भूमिका निभाएंगे। बच्चों का शिक्षण और पुनर्वास पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
फिल्डर पर रहे अफसर

बैठक में सभी अफसरों को निर्देश दिए गए कि वे फिल्ड पर रहें। निगम, आइडीए, पीडब्ल्यूडी के अफसर विकास कार्य की जांच करें, अजाक विभाग वाले होस्टल, शिक्षा विभाग के स्कूल, खनिज विभाग वाले अवैध उत्खनन रोकने के लिए नियमित निरीक्षण करें। उन्होंने आरटीओ को स्कूल बसों की जांच करने के भी निर्देश दिए। उनका कहना था कि अनुबंधित बसों और निजी वाहनों की जांच करें। पालकों को जागरूक कर बताएं कि वे जिस गाड़ी में बच्चे को भेज रहे हैं वह कैसी है और चालक कैसा है, उसकी जानकारी रहना चाहिए।

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