अंग्रेजों की छावनी के आसपास थे 9 लाख पेड़, इसलिए नाम पड़ा नौलखा
नौलखा आज सघन रहवासी क्षेत्र है, लेकिन आजादी के पहले तक शहर के सबसे घने हरियाली वाले क्षेत्र में से एक था
अंग्रेजों की छावनी के आसपास थे 9 लाख पेड़, इसलिए नाम पड़ा नौलखा
इंदौर. शहर का नौलखा क्षेत्र वैसे तो आज सघन रहवासी क्षेत्र है, लेकिन क्षेत्र आजादी के पहले तक शहर के सबसे घने हरियाली वाले क्षेत्र में से एक था, शहर के नगर नियोजक रहे विजय मराठे के मुताबिक छावनी पुल से लेकर पीपल्याहाना तालाब को भरने वाली चैनलों के किनारे तक के इलाके को होलकर राजाओं और अंग्रेजों के बीच हुई संधि के बाद अंग्रेजों को छावनी बनाने के लिए दिया गया था। उस समय यहां बहने वाली कान्ह नदी अंग्रेज छावनी के बीच पानी का साधन थी। इसे साफ रखने के लिए इस इलाके को हरा-भरा रखा गया था। इंदौर के लिए 1918 में होलकर राजाओं ने जो मास्टर प्लान बनाया था, उसमें इस क्षेत्र को हरियाली के लिए रखा था। यहां पर बड़ी संख्या में उन्होंने औषधीय बाग, नवगृह बाग तैयार करवाए थे। इनमें बड़ी संख्या में पेड़ लगाए थे। यहां उस समय 9 लाख से भी ज्यादा पौधे लगे थे, जिसके चलते इस क्षेत्र का नाम ही नौलखा पड़ गया।
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