
Mukesh ambani pm modi
नई दिल्ली। मोदी सरकार को रिलायंस जियो से दोस्ती करना काफी महंगा पड़ गया है। सरकार को इस दोस्ती की वजह से पांच हजार करोड़ से अधिक की चपत लग चुकी है। ताज्जुब की बात तो ये है कि इस दोस्ती के कारण कई कंपनियों ने टेलीकॉम सेक्टर से अपना बोरिया बिस्तर तक समेट लिया है। जिससे सरकार को और भी घाटा उठाना पड़ रहा है। आइए आपको भी दोस्ती में इस सरकार को किस तरह से नुकसान उठाना पड़ा है।
सरकार को हुआ 5 हजार करोड़ से अधिक का घाटा
सरकार को वर्ष 2017 में लाइसेंस फीस और स्पैक्ट्रम यूजेज चार्ज के रूप में करीब 5485 रुपए का कम टैक्स मिला है। इस दौरान सबसे खास बात यह रही है कि जहां देश की हर टेलीकाम कंपनी की एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) में कमी दर्ज हुई है, वहीं सिर्फ जियो की यह रेवेन्यू बढ़ा है। ट्राई की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक टेलीकॉम सेक्टर की ग्रॉस रेवेन्यू में वर्ष 2017 में गिरावट दर्ज की गई है, जो 8.56 फीसदी कम होकर 2.55 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। जिसकी वजह से सेक्टर से सरकार को आने वाले टैक्स में भी काफी कमी आई है। इससे पहले टेलकॉम कंपनियों की ग्रॉस रेवेन्यू वर्ष 2016 में 2.79 लाख करोड़ रुपए थी।
कई दरों में आई कमी
- लाइसेंस फीस के रूप में वर्ष 2017 में 18.78 फीसदी और स्पैक्ट्रम चार्ज में 32.81 फीसदी कम रुपया मिला है।
- सरकार को वर्ष 2017 में लाइसेंस फीस के रूप में सरकार को 12,976 करोड़ रुपए मिला जो एक साल पहले की तुलना में 3 हजार करोड़ रुपए कम है। एक साल पहले इस रूप में सरकार को 15,975 करोड़ रुपए मिला था।
- स्पैक्ट्रम यूजेज चार्ज के रूप में सरकार को पिछले साल 5,089 करोड़ रुपए मिला, जिसमें 2,485 करोड़ रुपए की गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले सरकार को इस मद में 7,574 करोड़ रुपए मिला था।
स्ब्सक्राइबर्स बढ़े और रेवेन्यु हुआ कम
जहां सरकार का रेवेन्यू घटा है वहीं दूसरी ओर सब्सक्राइबर बेस बढ़ता जा रहा है। अगर दिसबंर 2016 की बात करें तो देश में जहां 115 करोड़ सब्सक्राइबर थे। दिसबंर 2017 में यह बढ़कर 119 करोड़ हो गए। वहीं रेवेन्यु की बात करें तो टेलीकॉम कंपनियों का एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू भी घट गया है। वर्ष 2017 में 18.87 फीसदी कम होकर 1.6 लाख करोड़ रुपए रह गया, जो एक साल पहले 1.98 लाख करोड़ रुपए था।
रिलायंस जियो को हुआ फायदा
ट्राई के आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो रिलायंस जियो को फायदा हुआ है। जहां एक ओर बाकी टेलीकॉम के एजीआर में गिरावट देखने को मिली है वहीं दूसरी ओर जियो की एजीआर में इजाफा हुआ है। आंकड़ों पर बात करें तो भारती एयरटेल का एजीआर 24.46 फीसदी गिरकर 36,922 करोड़ रुपए पर आ गया। जो एक साल पहले 48,880 करोड़ रुपए था। वहीं वोडाफोन का एजीआर 24.14 फीसदी गिरा और आइडिया का AGR 23.17 फीसदी घट गया। वहीं जियो के एजीआर में 2,563.9 फीसदी बढ़कर 7,466 करोड़ रुपए हो गया। ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में जहां 13 मोबाइल कंपनियां देश में थीं, वहीं वर्ष 2017 में यह घट कर 12 रह गईं। इस दौरान वीडियोकॉन ने अपनी सेवाएं बंद की थीं। बाद में रिलायंस कम्युनिकेशंस, सिस्टेमा श्याम और क्वाडरेंट ने भी अपनी सेवाएं बंद कर दी थीं।
Published on:
05 May 2018 12:32 pm
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