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टाटा के आगे नहीं टिक पाई रिलायंस, बनी दुनिया के टॉप 100 ब्रैंड में शामिल होने वाली इकलौती भारतीय कंपनी

घरेलू कंपनी Tata को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। इंटरनेशनल ब्रांड्स की टॉप 100 की सूचि में टाटा ने भी जगह बना ली है। वर्ष 2019 में टाटा की ब्रांड वैल्यू 37 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ करीब 1387 अरब रुपए पर पहुंच गई है। लंदन के सलाहकार ब्रांड फाइनेंस की ओर से तैयार लिस्ट में अलग-अलग सेक्टर में टाटा ग्रुप 86वें स्थान पर है।

Jan 29, 2019 / 11:09 am

Dimple Alawadhi

TATA

टाटा के आगे नहीं टिक पाई रिलायंस, बनी दुनिया के टॉप 100 ब्रैंड में शामिल होने वाली इकलौती भारतीय कंपनी

नई दिल्ली। घरेलू कंपनी Tata को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। इंटरनेशनल ब्रांड्स की टॉप 100 की सूचि में टाटा ने भी जगह बना ली है। आपको बता दें लंदन बेस्ड कंस्लटेंसी ब्रैंड फाइनेंस की सूचि में शामिल होने वाली कंपनी टाटा इकलौती भारतीय कंपनी है। वर्ष 2019 में टाटा की ब्रांड वैल्यू 37 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ करीब 1387 अरब रुपए पर पहुंच गई है। लंदन के सलाहकार ब्रांड फाइनेंस की ओर से तैयार लिस्ट में अलग-अलग सेक्टर में टाटा ग्रुप 86वें स्थान पर है। बात अगर 2018 की करें तो तब इस लिस्ट में टाटा वैल्युएबल ब्रांड्स की लिस्ट में 104वें स्थान पर था।


इस तरह काम करेगा टाटा ग्रुप

टाटा ग्रुप की ओर से जारी बयान में ब्रांड फाइनेंस के CEO डेविड हेग ने कहा है कि, ‘2019 में टाटा के ब्रांड वैल्यू में अच्छी बढ़ोतरी देखी गई। यह इकलौता भारतीय ब्रांड है जो टॉप 100 ग्लोबल ब्रांड्स की लिस्ट में है।’ इस संदर्भ में टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा कि, ‘टॉप 100 में होने की वजह से हमें ग्लोबल स्तर पर अपने कारोबार को सामाजिक रूप से जिम्मेदार तरीके से आगे बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा। हम इनोवेशन और एंटरपेन्योरशिप के जरिए अनोखेपन का प्रयास करते रहेंगे।’


टाटा की उपलब्धियां

आपको बता दें कि टाटा ग्रुप साल 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म से शुरू हुआ था, जिसने देश को पहली बड़ी स्टील कंपनी, पहला लग्जरी होटल और पहली देसी कंज्यूमर गुड्स कंपनी दी थी। इसके साथ ही देश की पहली एविएशन कंपनी टाटा एयरलाइंस की शुरुआत करने वाला भी टाटा ग्रुप ही था। बाद में इस एयरलाइंस का नाम एयर इंडिया हो गया। साल 1991 में जब रतन टाटा इस ग्रुप के मुखिया बने, तब टाटा समूह ने टेटली टी का अधिग्रहण किया और बॉस्टन में ज्वाइंट वेंचर के तौर पर इन्श्योरेंस कंपनी भी शुरू की। इतना ही नहीं, उन्होंने यूरोप में भी अपना बिजनेस बढ़ाया। टाटा की वजह से ही भारत इस्पात संयंत्र बनाने वाला एशिया का पहला देश बना था।

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