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OMG: नोएडा प्राधिकरण व बिल्डर ने ठग लिए 200 करोड़ रुपये

नोएडा में अर्बटेक बिल्डर ने शुरू किया था नेहरू प्लेस एक्सटेंशन का प्रोजेक्ट, प्राधिकरण ने आवंटित की थी जमीन, बाद में आवंटन किया रद्द, एक हजार लोगों के 200 करोड़ रुपये फंसे

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Sarad Asthana

Jan 28, 2016

संदीप तोमर, नोएडा।
पंकज नागलिया ने अपना दफ्तर शुरू करने के लिए नोएडा में बन रहे नेहरू प्लेस एक्सटेंशन में एक यूनिट बुक कराई थी। अच्छी जगह पर बिजनेस भी अच्छा चलेगा इस सपने के साथ पंकज ने बिल्डर को पूरे पैसे दे दिए। पंकज ने 2009 में करीब बीस लाख रुपए का भुगतान किया।


कुछ इसी तरह दीपक अग्रवाल ने भी यहां पर एक छोटी यूनिट बुक कराई। दीपक का कहना है कि अपने बिजनेस के लिए आॅफिस बनाना था। मुझे ये साइट अच्छी लगी तो पैसा लगा दिया। पहले तो बिल्डर की तरफ से देरी हुई अब
नोएडा प्राधिकरण
ने बायर्स की जान अटकाई हुई है।दीपक अग्रवाल का कहना है कि ये बहुत बड़ा फ्रॉड है और इसमें एक हजार लोगों के 200 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं। दीपक का कहना है कि इतना सब होने के बाद भी बिल्डर हम लोगों से अतिरिक्त पैसों की मांग कर रहा है। अलग अलग चार्जेस के नाम पर हर आदमी से दो से पांच लाख रुपए तक की मांग की जा रही है।


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2009 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट

दरअसल, 2009 में नोएडा में अर्बटेक बिल्डर ने नेहरू प्लेस एक्सटेंशन का प्रोजेक्ट शुरू किया था। ये एक कॉमर्शियल आईटी पार्क था, जहां पर आॅफिस और दुकानें बनाई गईं। इस प्रोजेक्ट में एक हजार यूनिट मतलब कि एक हजार दुकानें बनाई गईं। एक दुकान की औसत कीमत बीस लाख है। वैसे यहां पर 80 लाख तक के आॅफिस भी हैं।

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प्राधिकरण ने पहले की जमीन आवंटित, बाद में की कैंसल

शुरुआत में प्राधिकरण ने बिल्डर के प्रोजेक्ट को पास करते हुए जमीन आवंटित कर दी लेकिन जब निर्माण पूरा हो गया और बात पजेशन देकर रजिस्ट्री कराने की आई तो ​प्राधिकरण ने अड़ंगा लगा दिया। प्राधिकरण ने बिल्डर को दी गई जमीन का आवंटन रद्द कर दिया। प्राधिकरण का तर्क है कि जब बिल्डर को जमीन दी गई थी, उस वक्त उसकी कंपनी रजिस्टर्ड नहीं थी।

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नहीं दी जा रही जमीन की रजिस्ट्री

आईटी पार्क का निमार्ण पूरा हो चुका है। बायर्स पूरी पेमेंट भी कर चुके हैं। बिल्डर बायर्स से बकाया राशि की मांग कर रहे हैं और उसके बाद पजेशन लेने के लिए भी कह दिया गया है। लेकिन मौजूदा हालात में पजेशन लेकर भी कोई फायदा नहीं है। दीपक अग्रवाल का कहना है कि अगर हम पजेशन ले भी लें तो आॅफिस का क्या करेंगे। वहां पर हम केवल टेबल कुर्सी डाल सकते हैं। काम करने की परमीशन हमें नहीं दी जा रही है। यहां की जमीन अभी विवादित है और हमें जमीन की रजिस्ट्री नहीं दी जा रही है।

प्राधिकरण ने शुरू में क्यों नहीं चेक किए कागज

इस मामले में फोनरवा के अध्यक्ष एनपी सिंह का कहना है कि प्राधिकरण ने शुरूआत में ही बिल्डर के कागजात की जांच क्यों नहीं की। इतने साल बाद प्राधिकरण को ये गलती क्यों नजर आई। प्राधिकरण की गलती का ​खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सभी लोगों ने लोन पर पैसा उठाकर यहां आॅफिस लिया था, जोकि होते हुए भी नहीं है।

धरना-प्रदर्शन की तैयारी

बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अन्नू खान का कहना है कि बिल्डर से मिलकर कोई न कोई समाधान निकाला जाएगा। अगर बिल्डर ने हमारी जायज मांगों को नहीं माना तो उसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।

हार्इकोर्ट भी जा सकते हैं बायर्स

पंकज का कहना है कि अब सभी बायर्स भी हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। सभी मिलकर मामले में पहले से चल रहे मुकदमे में थर्ड पार्टी बनेंगे और गुहार लगाएंगे कि हाईकोर्ट फैसला सुनाते समय उनकी परेशानी को भी ध्यान में रखे। वहीं, प्राधिकरण की प्रवक्ता अंजु का कहना है कि मामला कोर्ट में है। वहां से निर्णय आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

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