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प्लानिंग की खामी और दूरदॢशता की कमी पड़ रही भारी
ठेकेदारी सिस्टम के शिकंजे में निगम बदइंतजामी से खाली हो रहा खजाना
एक नजर इधर भी
– 30 करोड़ में लगभग 6 साल पहले ही रमनगरा की गफलत वाली मेन राइजिंग लाइन डाली गई। अब करोड़ों की पैरलल लाइन डालेंगे।
– रेलवे व सेना से बात किए बिना पिछले साल चौथे पुल से तीसरे पुल तक लिंक रोड बनाने का ठेका जारी कर दिया गया। अब तक सडक़ का काम शुरू नहीं कर पाए।
– छोटी लाइन पर लेफ्ट टर्न के लिए बनाया गया डिवाइडर तोड़ दिया गया। अब इसे नए सिरे से बनाएंगे।
– यातायात में बाधक बनाकर तीन पत्ती व छोटा फुहारा की रोटरी तोड़ दी। अब छोटी लाइन में सुगम यातायात के नाम पर खुद रोटरी बना डाली।
मामला- 1
सीवर का दंश
सीवर के काम का दंश शहर पिछले 11 साल से झेल रहा है। इस अवधि में 3 कंपनियां 50 फीसदी काम भी नहीं कर पाईं। इनमें एक कंपनी बोरिया बिस्तर समेटकर भाग चुकी है। 2 कंपनियां कछुआ चाल से काम कर रहीं। दिल्ली की आनंद एसोसिएट्स पर मेहरबान अफसरों ने 11 करोड़ का एडवांस में भुगतान कर डाला। अब 3 सौ करोड़ से चौथी कंपनी को 194 किमी सीवर लाइन डालने का ठेका दिया गया है।
मामला- 2
75 करोड़ की स्मार्ट सडक़ें
नगर निगम के साथ स्मार्ट सिटी लिमिटेड की बागडोर संभाल रहे अफसरों ने 75 करोड़ से राइट टाउन, होमसांइस रोड, मानस भवन सहित अन्य इलाके कि पहले से चकाचक सडक़ों को तहस-नहस कर स्मार्ट रोड बनाने का काम शुरू किया है। इन चकाचक सडक़ों की जगह शहर को नई जगह स्मार्ट सडक़ों की सौगात दी जाती तो ज्यादा कारगर साबित होता। आगे भी 250 करोड़ से बनी बनाई सडक़ों को स्मार्ट रोड बनाने की प्लानिंग भी कर ली गई है।
मामला- 3
महीनों से अधूरा चौराहा
नगर निगम 28 महीने से छोटी लाइन चौराहे का काम करा रहा। 1.72 करोड़ से हो रहे इस चौराहे का विकास कार्य अधूरा पड़ा है। पहले चौराहे का डामलीकरण कर दिया गया। फिर उसी के ऊपर आइलैण्ड व रोटरी बना दी गई। डामलीकरण में पैसे बर्बाद करने के बाद रोटरी में बार-बार तोडफ़ोड़ होती रही। बिना प्लानिंग के शुरू हुए इस चौराहे का विकास कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
मामला- 4
मानस भवन में लगाए 2 करोड़
मानस भवन का नए सिरे से लगभग सवा 4 करोड़ रुपए की लागत से पूर्व महापौर प्रभात साहू के कार्यकाल में निर्माण कार्य कराया गया था। इसे दिए गए नए स्वरूप को मिटाने में वर्तमान नगर सरकार व अधिकारी तुले हैं। पहले तोडफ़ोड कर यहां स्मार्ट सिटी का कार्यालय 2 करोड़ में बना लिया गया, जो कि किसी अन्य स्थान पर भी बनाया जा सकता था। फिर एक ओर की बाउण्ड्रीवाल तोड़ दी गई, अब दूसरी ओर बाउण्ड्रीवाल गिराने की तैयारी कर ली गई है।
मामला- 5
स्टेडियम में लगा रहे 35 करोड़
राइट टाउन के बने बनाए स्टेडियम को तोडकऱ 35 करोड़ से नया स्वरूप देने का काम प्रारंभ किया गया है। विरोध के बावजूद एमएलबी स्कूल के ओर के हिस्से में निर्माण की कवायद शुरू कर दी गई है, जबकि इस स्टेडियम में आने वालों के लिए पार्किंग तक की सुविधा नहीं है। इसकी जगह 35 करोड़ में किसी दूसरे स्थान पर भव्य स्टेडियम बनाया जा सकता था।
मामला- 6
भंवरताल गार्डन में लगाए करोड़ों
भंवरताल गार्डन शहर के व्यवस्थित गार्डनों में से प्रमुख था। अफसरों ने इसे 4 करोड़ रूपए से भी ज्यादा खर्च कर नया स्वरूप दिया गया। इसमें पार्किंग बनाने का ध्यान तक नहीं रखा गया। इतनी राशि से शहर में दूसरी जगह नया गार्डन बनाया जा सकता था। इसका फायदा यह होता कि लोगों को एक और गार्डन की सौगात भी मिल जाती।
निगम में ठेकेदारों से मिलकर कमीशनबाजी का जमकर खेल चल रहा है। करोड़ों रूपए फिजूल बर्बाद किए जा रहे। स्मार्ट सिटी के नाम पर तो लूट मची हुई है।
– राजेश सोनकर, नेता प्रतिपक्ष