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यह है मामला
हुगली पश्चिम बंगाल के डॉ.तनुज कुमार दास, आगरा के डॉ.पुलकित विष्ट, इंदौर के डॉ.रोहन अग्रवाल व अन्य 10 छात्रों ने याचिका में कहा कि उन्हे 2016 में ऑल इंडिया पीजी मेडिकल इंट्रेंस एग्जाम के जरिए इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर में एमडी, एमएस की पीजी सीटों पर दाखिला मिला। सवा दो साल के इस कोर्स के तहत 2018 में थीसिस भी जमा कर दी गई। इसके साथ एनरोलमेंट नंबर जरूरी था। इस बारे में पत्र व्यवहार करने पर सूचित किया गया कि एक शपथपत्र जमा करना होगा। जिससे यह समस्या दूर हो जाएगी। 24 अप्रैल 2019 को याचिकाकर्ताओं ने एक शपथपत्र भरा।
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प्रारंभिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी
यूनिवर्सिटी से मिले निर्देश के अनुसार शपथपत्र में उनसे लिखवाया गया कि मेरे प्रवेश की वैधता आज तक सत्यापित नहीं हो पाई है। बाद में इसी आधार पर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने एनरोलमेंट नंबर जारी करने से इनकार कर दिया गया। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि दरअसल इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, इंदौर पूर्व में मालवांचल मेडिकल यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध था। बाद में जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से सम्बद्धता हो गई। पूर्व यूनिवर्सिटी में जमा दस्तावेजों को नवीन यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर करने में लापरवाही बरती गई, इसीलिए छात्रों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी किए।