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जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक याचिका का इस निर्देश के साथ निराकरण कर दिया कि यदि मप्र लोकसेवा आयोग सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा आयोजित करता है तो याचिकाकर्ताओं सहित अन्य समान प्रकृति के अभ्यर्थियों को शामिल करे।
न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता बुरहानपुर निवासी पिनु चौहान, सुनील चौहान और खंडवा निवासी मुकेश गौर व नरेंद्र नीलकंठ की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा। उन्हाेंने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने 18 जनवरी, 2024 को नीट परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। जिस तरह राज्य स्तरीय परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों के लिए चयन परीक्षा की तिथि बढ़ाई गई थी और पोर्टल खोला गया था, उसी तरह मप्र लोक सेवा आयोग भी पोर्टल खोलकर पांच वर्ष के अंतराल से हो रही सहायक प्राध्यापक परीक्षा में बैठने का अवसर दे।
यह था मामला
बहस के दौरान हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि सहायक प्राध्यापक के चयन के लिए परीक्षा तिथि पूर्व में तीन बार बढ़ाई गई थी। नवंबर, 2023 में तिथि इसलिए बढ़ाई गई ताकि राज्य स्तरीय परीक्षा में चयनित अभ्यर्थी भी चयन परीक्षा में शामिल हो सके। सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा की तिथि तीन मार्च, 2024 निर्धारित की गई थी लेकिन विगत सप्ताह इसे फिर से अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया गया। इस स्थिति के मद्देनजर हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश दिया कि यदि मप्र लोकसेवा आयाेग 31 मार्च, 2024 के उपरांत सहायक प्राध्यापक की चयन परीक्षा आयोजित करता है तो याचिकाकर्ताओं सहित समान प्रकृति के अन्य अभ्यर्थियों को शामिल करे।
Published on:
03 Mar 2024 07:21 pm
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