
Hundreds of houses are vacant in the railway division
जबलपुर। रेल मंडल के कर्मचारी जहां आवास के लिए परेशान हैं, वहीं रेलवे में सैकड़ों की संख्या में आवास खाली हैं। आवास नहीं मिलने पर रेल प्रशासन कर्मचारियों को हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) देता है। इससे उसे हर माह लाखों रुपए की चपत लग रही है। यदि इन कर्मचारियों को रेल आवास आवंटित हो जाता, तो रेलवे को एचआरए का भुगतान नहीं करना पड़ता, दूसरा कर्मचारियों से इन आवासों का किराया भी मिलता।
पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल में विभिन्न टाइप (श्रेणी) के 1700 आवास हैं। ये आवास कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बनाए गए हैं। रेल मंडल के जबलपुर में पिछले काफी समय से 200 से ज्यादा आवास खाली पड़े हैं। यह जानकारी मंडल रेल प्रशासन के साथ पमरे मुख्यालय के सम्बंधित अधिकारियों को भी है। इसके बावजूद आवासों का आवंटन नहीं हो रहा है।
वेतन का 16 फीसदी एचआरए
आवास उपलब्ध नहीं होने पर रेल प्रशासन किराए के मकान में रह रहे कर्मचारियों को 16 प्रतिशत हाउस रेंट एलाउंस देता है। रेलवे में खाली आवासों की संख्या के अनुसार यह राशि हर माह 15-18 लाख रुपए होती है। इस हिसाब से रेल प्रशासन हर साल 2 करोड़ रुपए एचआरए पर खर्च कर रहा है। जानकारों का कहना है कि इतनी राशि से आवासों की मरम्मत कराई जा सकती है।
रेल प्रशासन कर रहा अनदेखी
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के मंडल सचिव डीपी अग्रवाल ने बताया कि आवासों की हालत ठीक नहीं होने से कर्मचारी नहीं ले रहे हैं। इस संबंध में रेल प्रशासन को अवगत कराया गया है। डब्ल्यूसीआरईयू के मंडल सचिव रोमेश मिश्रा का कहना है कि बड़ी संख्या में कर्मचारी आवास की कतार में हैं, लेकिन आवंटन नहीं किया जा रहा है।
विभागीय स्तर पर समय-समय पर आवासों की मरम्मत कराई जाती है। कुछ आवासों की स्थिति ज्यादा खराब है। जहां संभव है, वहां आवासों की मरम्मत करा रहे हैं।
जेपी ङ्क्षसह, सीनियर डीईएन रेलवे
Published on:
15 Apr 2023 06:24 pm
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