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गवाहों के बयान दर्ज होने शुरू
इधर मामले में गवाहों ने बयान दर्ज कराने शुरू कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार अब तक दर्ज हुए बयान डीआइजी खातरकर के खिलाफ हैं। जीआरपी ने बयानों को कलमबद्ध करने के साथ ही उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की है। सबूत के तौर पर यात्रियों के टिकट की प्रतिलिपि भी जीआरपी ने जब्त की है।
आरपीएफ को सूचना दी, पहुंची जीआरपी
डीआइजी की छेडख़ानी का महिला यात्री ने विरोध कर हंगामा किया था। इससे आसपास के यात्री जाग गए। यह देख यात्री मयंक सिंह ने आरपीएफ के टोल फ्री नंबर 182 पर कॉल कर घटना की जानकारी दी थी। लेकिन आरपीएफ के पहले जीआरपी का अमला ट्रेन में पहुंच गया। मयंक ने जीआरपी को जो बयान दिए हैं, उनकी माने, तो घटना के बाद डीआइजी ने ट्रेन में भी समझौते का दबाव बनाया।
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आरपीएफ ने दिनभर पोस्ट में बिठाया
यात्री मयंक ने कलेक्टर भरत यादव और रेल एसपी सुनील जैन से मुलाकात कर पूरा घटनाक्रम बताया। इस दौरान डीआइजी खातरकर और आरपीएफ द्वारा धमकाए जाने की बात का भी उल्लेख किया। जानकारी के अनुसार मयंक को आरपीएफ के अधिकारियों ने पहले तो पोस्ट बुलाया और फिर उसे दिनभर पोस्ट में ही बिना वजह बैठाए रखा था।
यह है मामला
रेल अफसर की पत्नी इंदौर जबलपुर ओवर नाइट एक्सप्रेस में यात्रा कर रही थी। वे एसी टू कोच में सवार थीं। उनके सामने की सीट में आरपीएफ डीआइजी विजय खातरकर थे। सोमवार तडक़े लगभग चार बजे ट्रेन गाडऱवाड़ा के पास पहुंची। इस दौरान डीआइजी खातरकर ने महिला से अश्लील हरकतें कर दी। महिला ने जबलपुर पहुंचकर डीआइजी के खिलाफ जीआरपी थाने में एफआइआर दर्ज कराई।
जानकारी के अनुसार रेलवे महिला मंडल ने पमरे जीएम अजय विजयवर्गीय से मामले में कार्रवाई की बात की थी, जिसके बाद रेलवे प्रशासन बैकफुट पर आया और डीआइजी खातरकर को फोर्स लीव पर भेजा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे महिला मंडल की दिल्ली कार्यकारिणी की कुछ सदस्यों ने आरपीएफ महानिदेशक अरूण कुमार से इस मामले में जल्द कार्रवाई की बात कही है। मामले में महानिदेशक के दिल्ली स्थित कार्यालय फोन लगाया गया, फोन पीए एस धीधर ने रीसिव किया, लेकिन यह कहकर बात टाल दी।
कटनी स्टेशन पर रेलवे अधिकारियों का प्रदर्शन
कटनी रेलवे स्टेशन पर रेलवे अधिकारियों ने गुरुवार को डीआइजी के खिलाफ प्रदर्शन किया और काम बंद कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने डीआइजी पर कार्रवाई की मांग की। वरिष्ठ अधिकारियों के पहुंचने के बाद प्रदर्शनकारी काम पर तो लौटे, लेकिन काली पट्टी बांधकर विरोध किया।