7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ट्यूबवेल, हैंडपम्प के पानी का नहीं ट्रीटमेंट, बीमारियों से घिर रहे हैं लोग

  यह है स्थिति 900 ट्यूबवेल से जलापूर्ति 8 हाईडेंट से जलापूर्ति 35 प्रतिशत के लगभग आबादी अभी भी नलकूप, हैंडपंप पर निर्भर 17 टैंकरों से होती है जलापूर्तिनया जलशोधन संयंत्र की योजना

less than 1 minute read
Google source verification
photo_2022-09-18_21-42-23.jpg

प्रभाकर मिश्रा@जबलपुर. शहर के ज्यादातर इलाकों में जलापूर्ति की लाइन नाले-नालियों से होकर गुजरने के साथ क्षतिग्रस्त भी हो गई हैं। बड़ी आबादी अभी भी ट्यूबवेल व हैंडपंप का पानी पीने मजबूर है। भूगर्भीय जल में ढेरों अशुद्धि होने का जांच रिपोर्टों में खुलासा हो चुका है। नगर निगम ने वर्ष 2010-11 में निर्णय लिया था कि नगर में भूगर्भीय जल की आपूर्ति पर निर्भरता कम की जाएगी। इसके साथ ही ट्यूबवेल व हैंडपंप में जल गुणवत्ता के लिए शुद्धि की आवश्यक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। लेकिन 11 साल बाद भी इस दिशा में अब तक कोई बड़ी पहल नहीं हुई।

बड़ी आबादी भू जल पर निर्भर-

शहर बड़ी की आबादी आज भी भू जल पर निर्भर है। तेवर, कुगवां, बहदन, कुदवारी, सूखा, मानेगांव, मोहनिया, डुमना, तिलहरी, रमनगरा, दुर्गा नगर समेत कई और इलाकों आज भी बड़ी आबादी पीने के पानी के लिए ट्यूबवेल और हैंडपंप पर निर्भर है। भू जल सर्वेक्षण की 2018 में आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था की शहर में 150 फीट के ऊपर का पानी पीने लायक नहीं है।

शहर में नर्मदा जल की आपूर्ति हर घर में हो व भूगर्भीय जल पर निर्भरता कम हो इसके लिए नया जल शोधन संयंत्र स्थापित करने जल्दी ही डीपीआर तैयार कर योजना पर काम शुरू किया जाएगा।

जगत बहादुर सिंह अन्नू, महापौर

पेय जल में अशुद्धि के कारण पेट दर्द, उल्टी-दस्त, टायफाइड, पीलिया से मरीज पीड़ित हो रहे हैं। बरसात के दिनों में यह समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में बचाव के लिए पानी को छानकर, उबालकर पीना बेहतर विकल्प है।

डॉ पंकज असाटी, पेट रोग विशेषज्ञ, मेडिकल अस्पताल