बैंक अधिकारियों ने मामले की जांच की, तो पता चला कि जोरे सिंह की वर्ष 2012 में ही मौत हो चुकी है। जब ऋण के दस्तावेज जांचे गए, तो उसमें खुलासा हुआ कि जोरे सिंह के फर्जी अंगूठे के निशान दस्तावेज में थे। जांच के बाद बैंक अधिकारी नेमा और जेठवा के अलावा जगदीश प्रसाद यादव और बृजभान यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।