
The stain of dirt cannot be removed from the market
जबलपुर। रोजाना 20-25 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली संभाग की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी की हालत खराब है। दुकानों के व्यवस्थित निर्माण और नियमित रूप से नाले-नालियों की सफाई नहीं ोने से जरा-सी बारिश में पूरा मंडी परिसर तालाब में तब्दील हो जाता है। दुकानों में पानी भरने से सब्जी, अनाज और फल खराब होते हैं। इसका कारण बिना किसी योजना के दुकानों का निर्माण और नालियों की सफाई नहीं होना है।
60 एकड़ है रकबा
60 एकड़ में फैली कृषि उपज मंडी के चारों तरफ नाले हैं। सभी के परिसर से ऊंचे होने के कारण पानी की निकासी नहीं होती। रोजाना यहां चारों मंडियों के लिए 400 वाहनों की आवाजाही होती है। डेढ़ हजार किसान और छोटे व्यापारी यहां आते हैं। गंदगी से उन्हें परेशानी होती है।
ये हैं कारण
- मंडी का ढलान दमोह रोड की तरफ नहीं है।
- दुकानों का एक साथ निर्माण नहीं होना।
- नालियां की नियमित रूप से सफाई नहीं होती।
- व्यापारी नालियों में फेंकते हैं दुकानों का कचरा।
- ड्रेनेज पर किया अवैध निर्माण।
- सफाई ठेके नियमित रूप से नहीं होते।
- परिसर की सडक़ें कहीं ऊंची तो कहीं नीची हैं।
मंडी का निर्माण कई चरणों में हुआ है। ऐसे में रोड और नालियों की ढलान में समानता नहीं है। नालियों में कचरा फेंका जाता है। इससे वे चोक हो जाती हैं। इसलिए कुछ जगहों पर कोई सुधार नहीं हो सकता। जहां संभव है, वहा जल्द ही नालियों की सफाई कराई जाएगी।
मनोज चौकीकर, सचिव कृषि मंडी
मंडी प्रशासन से कई बार परिसर में डस्टबिन रखने और कचरा फेंकने का स्थान चिह्नित करने की मांग कर चुके हैं। व्यापारियों को भी निर्धा ंरित स्थान पर कचरा फेंकने के लिए कहा जाता है। लेकिन पानी भरने की समस्या का निराकरण मंडी प्रशासन कराए।
धनीराम चौबे, अध्यक्ष थोक आलू-प्याज व्यापारी संघ
Published on:
03 May 2023 06:20 pm
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