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जबलपुर

संतान सप्तमी – यश-सम्मान-प्रतिष्ठा भी दिलाती है यह पूजा

यश-सम्मान-प्रतिष्ठा भी दिलाती है यह पूजा

जबलपुरSep 16, 2018 / 09:41 am

deepak deewan

santan saptami 2018 vrat katha muhurat puja vidhi

santan saptami 2018 vrat katha muhurat puja vidhi

जबलपुर. रविवार को भाद्रपद शुक्ला पक्ष सप्तमी है। इस दिन व्रती माताएं भगवान शिव-पार्वती की आराधना कर संतान की रक्षा और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। शिव मंदिर या पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके पूजा करने का विधान है।
शिव-पार्वती की आराधना कर माताएं मांगेंगी पुत्र की रक्षा का आशीष
भगवान श्रीकृष्ण की मां देवकी ने भी किया था व्रत- ज्योतिर्विद् जनार्दन शुक्ला के अनुसार द्वापर युग में ऋषि लोमस ने भगवान श्रीकृष्ण की मां पार्वती को इस व्रत की उपासना करने की सलाह दी थी। व्रत के पुण्य से कन्हैया का अवतरण हुआ। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने संतान रक्षा के लिए युधिष्ठर को इस व्रत की जानकारी दी। व्रत में चीड़, दूब, बेल पत्र, आम क पल्लव के साथ चांदी की चूडिय़ां और शृंगार सामग्री अर्पित की जाती है। व्रती महिलाएं इसे प्रसाद स्वरूप धारण करती हैं। सप्तमी को सात मीठी पूड़ी का भोग लगाया जाता है। संतान सप्तमी को मुक्ता भरण सप्तमी भी कहा जाता है। व्रती महिलाएं सामूहिक रूप से शिव-पार्वती का पूजन करती हैं। चांदी के कड़ा का दूध से अभिषेक कर धारण करती है। सात गठान के रक्षासूत्र को धारण कर संतान की रक्षा की कामना की जाती है। इस व्रत को श्रद्धा तथा विश्वास से रखने पर पिता-पुत्र में प्रेम बना रहता है.
16 सितंबर को रविवार है आरै इस दिन भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है जिसका बड़ा महत्व है। जब सप्तमी रविवार को आती है तो उसे भानु सप्तमी, सूर्य सप्तमी, इत्यादि नामों से जानी जाती है. विशेषकर जब यह सप्तमी रविवार के दिन हो तो इसे भानू सप्तमी के नाम से पुकारा जाता है और इस दिन पडऩे के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है.

नवग्रहों में सूर्यदेव राजा माना जाते हैं। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है इनकी उपासना से रोग मुक्ति संभव होती है. सूर्य भगवान की आराधना से जीवन में यश-सम्मान और प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है। भानु सप्तमी पर”ऊँ घृणि सूर्याय नम” अथवा “ऊँ सूर्याय नम” सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए. आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ आज सबसे फलदायी सिद्ध होगा। सुबह उठकर सूर्यदेव को अघ्र्य दें और फिर यह पाठ करें. तीन बार यह पाठ करें। इसमें करीब आधा घंटा लगेगा. ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति संभव होती है.

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