
सोमवती अमावस्या पर अनूठा मुहूर्त, जरूर करें ये उपाय, मिलेगी सफलता
जबलपुर। तीर्थ सेवन और गंगा, नर्मदा, समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान के लिए शुभ माना जाने वाला माघ का पवित्र महीना चल रहा है। महीने के प्रारंभ में ही सोमवार 4 फरवरी को आ रही मौनी अमावस्या पर बेहद शुभ योग बन रहे हैं। भगवान शिव के प्रिय दिवस सोमवार के संयोग ने इसे और शुभ बना दिया है। सोमवती अमावस्या के बारे में कहा जाता है कि इस दिन यदि पूरी श्रद्धा से पवित्र नदियों में स्नान आदि करने दान किया जाए तो विघ्न और क्लेश दूर हो जाते हैं। खास बात यह है कि सोमवती यानी माघी अमावस्या पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग व चतुग्रही योग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य पं. जनार्दन शुक्ल व रामसंकोची गौतम के अनुसार यह योग विशेष सिद्धि व पुण्य फल देने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों के साथ पूजन अवश्य करना चाहिए।
एक नजर में विशेष
अमावस्या तिथि- 4 फरवरी को रात्रि 2.33 बजे तक रहेगी
अमावस्या का पंचांग - नक्षत्र- श्रवण, योग- सिद्धि, वार- सोमवार
अमावस्या तिथि प्रारंभ - 3 फरवरी को रात्रि 11.52 बजे से
अमावस्या तिथि प्रारंभ 3 फरवरी रात्रि 11.52 बजे से
क्या है सोमवती अमावस्या
हिंदी मास के अनुसार हर मास में अमावस्या आती है । लेकिन जब किसी भी माह में सोमवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है तो उसे, सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस वर्ष सोमवती अमावस्या 4 फरवरी को है। इस दिन व्रत उपवास व पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान और दान का विशेष महत्व है। यह तिथि पितृ दोष के निवारण में भी सहायक है। इस दिन को गंगा स्नान का बड़ा महत्व है। जो मनुष्य गंगा स्नान को नहीं जा सकते, वे अपने घर में हीं पानी में गंगा जल मिला कर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान कर सकते हैं। इस दिन मौन रहकर स्नान करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा सरोवर में स्नान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
चार ग्रहों का दुर्लभ योग
ज्योतिषाचार्य पं. शुक्ल के अनुसार सोमवती मौनी अमावस्या पर सूर्य, चंद्र, बुध, केतु मकर राशि में गोचर रहेंगे। इस तरह चर्तुग्रही युति में महोदय योग बन रहा है। यह संयोग बेहद दुर्लभ और यह शुभ माना जाता है। यह योग सूर्य चंद्र की मकर राशि में मौजूद स्थिति पर केंद्रित है। साथ ही श्रवण व व्यतिपात नक्षत्र इस योग को ओर भी खास बनाते हैं। इस दिन भगवान नारायण और भगवान शिव की पूजा विशेष फलकारी होती है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव को पंचामृत स्नान कराने के साथ उन्हें चंदन, पुष्प, पुष्पमाला, फल, श्रीफल, जनेऊ, मिष्ठान्न, धूप, दीप आदि अर्पित करना चाहिए।
ये बन रहे शुभ योग
मौनी अमावस्या पर श्रवण नक्षत्र होने से सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। इसके साथ व्यतिपात योग के होने से यह महोदय नामक योग का निर्माण भी कर रहा है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार एक करोड़ सूर्य ग्रहण के बाद स्नान और दान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह इस योग में एक बार संगम, गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से प्राप्त हो जाता है।
नर्मदा तट पर भक्ति की गंगा
माघ माह में नर्मदा तट ग्वारीघाट में भक्ति की गंगा बह रही है। उमाघाट पर सुबह द्वादश ज्योतिर्लिंग का अभिषेक और शाम को भागवत कथा में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। नर्मदा महाआरती समिति के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। छह फरवरी से आर्ट ऑफ लिविंग और नर्मदा महाआरती समिति के संयुक्त तत्वावधान में श्रीमद् देवी भागवत कथा शुरू होगी। आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक रितुराज असाटी ने बताया, उमाघाट में 6 से 10 फरवरी तक श्रीमद् भागवत कथा होगी। बसंत पंचमी 10 फरवरी से धार्मिक कार्यक्रम शुरू होंगे।
ये करें उपाय
- सोमवती अमावस्या के दिन भगवान सूर्य को जल देना चाहिए, इससे गरीबी और दरिद्रता दूर होती है ।
- 108 बार पीपल की परिक्रमा करें।
- शिव व नारायण के मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
- इस दिन पितरों के तर्पण का कार्य भी किया जाता है ।
- सोमवार को भगवान शिव का वार है, अत: सोमवती अमावस्या को शिव एवं हनुमान जी की पूजा करने से कठिनाईयाँ दूर होती है ।
- इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा व पेड़ की जड़ में दीपक जलाना चाहिए तथा शनि देव की भी पूजा करनी चाहिये। इससे शनि देवता शुभाशीष प्रदान करते हैं।
Published on:
03 Feb 2019 12:48 pm
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