संयुक्त संघर्ष मोर्चा मंडी बोर्ड भोपाल के नेतृत्व में गुरुवार से शुरू प्रदेश की 259 कृषि उपज मंडियों में अनिश्चितकालीन हड़ताल का असर अब साफ दिखने लगा है। हर मंडी में कामकाज पूरी तरह से ठप है। कर्मचारी और व्यापारी मंडी समिति के दफ्तर के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। गल्ला मंडी पूरी तरह से बंद है। जबलपुर का 50 सदस्यीय दल भोपाल जा कर अपना विरोध दर्ज करा चुका है। इसके बाद आज स्थानीय कृषि उपज मंडियों में तालाबंदी की गई।
ये भी पढें- केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ व्यापारी लामबंद, मंडी कर्मचारी भी हड़ताल पर संयुक्त संघर्ष मोर्चा मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के सदस्यों का कहना है कि इस अध्यादेश के जरिए मंडी के बाहर अनाज की खरीदी व बिक्री की अनुमति देने के साथ टैक्स में छूट दी जा रही है, जिससे मंडियों की आय बंद हो जाएगी। इसका असर कर्मचारियों के वेतन पर पड़ेगा।
आंदोलनकारी कर्मचारियों की मांग है, मंडी सेवा और बोर्ड सेवा का संविलियन कर इसे शासन अधिगृहित करे। इसके अलावा शासन ने मंडियों में टैक्स फ्री की जो व्यवस्था की है, उससे कर्मचारियों को एतराज नहीं है, लेकिन कर्मचारियों के वेतन-भत्तों समेत पेंशन सुविधा को सुनिश्चित किया जाए। ऐसा न होने तक मंडी कर्मचारियों की हड़ताल जारी रहेगी, कामकाज बंद रहेगा।
व्यापारियों की प्रमुख मांगें
-प्रदेश सरकार इस अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट करे
-मंडी की फीस दर 50 पैसा, अनुज्ञा पत्र, निराश्रित शुल्क आदि समाप्त किए जाएं
-मंडी लाइसेंस फीस न्यूनतम रखकर इसकी अवधि आजीवन हो
-कृषकों को भुगतान व मंडी भुगतान सुनिश्चित हो
-मंडी परिसर में बने गोदाम उचित किराए पर दिए जाएं
व्यापारियों के अनुसार इस तरह की मांगों को लेकर वे 14 अगस्त को भी मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप चुके हैं। बावजूद इसके, मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे व्यापारियों में असंतोष है। व्यापारियों की ये हड़ताल 5 सितंबर तक चलेगी।