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सपोर्ट गायब, अर्थिंग वायर भी नहीं, हादसे की आशंका

जिले में पोल लगाने में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। ठेके पर पोल लगाने का खामियाजा लाइनमैन को जान देकर भुगतना पड़ रहा है।

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sudarshan@123 kumar

Dec 19, 2016

Earthing

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जबलपुर। जिले में पोल लगाने में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। ठेके पर पोल लगाने का खामियाजा लाइनमैन को जान देकर भुगतना पड़ रहा है। आंधी और हल्की हवा में भी पोल गिर रहे हैं। शहर में भी लोहे के पोल में खेल चल रहा है। पोल को सपोर्ट देने वाले स्टे वायर और अर्थिंग तार तक नहीं लगाए जा रहे हैं।

शहर में 22 से 28 फीट ऊंचाई वाले बिजली के पोल लगाए जा रहे हैं। नियमानुसार हर पोल को गहराई में छह फीट अंदर तक दबाया जाता है। इसके चारों तरफ गिट्टी व सीमेंट का बेस डालना रहता है। ठेके पर पोल लगाने वाले इसी में खेल कर रहे हैं। गिट्टी, सीमेंट व रेत के साथ गड्ढे कराने में मजदूरी बचाने के लिए गहराई घटा दे रहे हैं। कहीं चार फीट, तो कहीं पांच फीट की गहराई में पोल लगा दिए गए हैं।

पोल के सपोर्ट के लिए जरूरी स्टे वायर नहीं लगाए जा रहे हैं। पहले स्टे वायर हर पोल में लगाया जाना अनिवार्य था। स्टे वायर दो तरह से काम करते थे। करंट डिस्चार्ज करने के लिए इससे अर्थिंग का भी काम लिया जाता था। यह सपोर्ट का काम करता है। इस कारण लोहे के मोटे तार का इस्तेमाल किया जाता था। कंपनी और ठेकेदार की जोड़ी इसी तार का खर्च बचाने के लिए स्टे वायर नहीं लगा रही।

सुरक्षा के लिए पोल के साथ अर्थिंग तार जरूरी है। इसके लिए छह नम्बर का जीआई तार पोल के साथ ही छह फीट की गहराई में लगाया जाता है। शहर में 10 हजार से अधिक पोलों में अर्थिंग तार नहीं लगाए गए हैं। महज ट्रांसफॉर्मर वाले पोल के साथ ही अर्थिंग तार लगाए जा रहे हैं।

सिर्फ यहां लगा रहे स्टे वायर
अंतिम पोल के सपोर्ट के लिए
मोड़ वाले पोल का बैलेंस बनाए रखने के लिए
चौराहे व तिराहे पर लगे पोल को झूलने से बचाने के लिए

इस कारण जरूरी है अर्थिंग तार
किसी भी फॉल्ट को सुधारने से पहले लाइनमैन शट-डाउन लेता है
इसके बाद डिस्चार्ज रॉड से तारों को जोड़ा जाता है। इससे करंट का खतरा टल जाता है
जनवरी से अब तक चार लाइनमैन व हेल्पर की करंट से मौत हो चुकी है
दो दर्जन लोग करंट से घायल हो चुके हैं

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