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जबलपुर

दुनिया का सबसे चमत्कारी शब्द… जो बदल देगा आपकी दुनिया, खुद आजमाएं

एक शब्द में समायी है पूरे ब्रम्हांड की शक्ति

जबलपुरJun 11, 2018 / 02:25 pm

Premshankar Tiwari

mystery of Om

दुनिया का सबसे चमत्कारी शब्द

जबलपुर। भारतीय वैदिक शास्त्रों में शब्द की बड़ी महिमा बताई गई है। शब्द को ब्रम्ह की संज्ञा दी गई। दुनिया के सभी शब्दों का जनक यानी उत्पत्तिकर्ता या पिता अ उ म… यानी ऊँ और इसका भी जनक या उत्पत्तिकर्ता र उ म… यानी राम शब्द को माना गया है। नाम लेत भव सिंधु सुखाहीं.. और राम नाम सुमिरत इक बारा.. उतरहिं नर भव सिंधु अपारा… के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास ने राम नाम और ओम की इसी महिमा को बताने का प्रयास किया है। खैर अभी बात हो रही है ऊं शब्द की…, तो वैदिक जगत में इसे बेहद चमत्कारी माना गया है। इसके बिना हर मंत्र अधूरा होता है। अब तो चिकित्सा विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ भी इसके महत्व को मानने लगे हैं। बताया जाता है कि नासा की खोज में पता चला है कि अपनी धुरी पर सूर्य के घर्षण में ओम शब्द की ध्वनि निकल रही है, जो चौंकाने वाली है।

डॉक्टर भी स्वीकार कर रहे सच्चाई
ऊँ शब्द की शास्त्रों में बड़ी महत्ता बतायी गई है। ज्योतिषाचार्य पं. जनार्दन शुक्ल के अनुसार ऊँ एक ऐसा बीज मंत्र है, जिसके बिना दुनिया के लगभग सभी वैदिक मंत्र अधूरे माने जाते हैं। इसलिए हर मंत्र या महामंत्र के आगे ऊँ शब्द का सम्पुट लगाया जाता है। योगाचार्य पं. दीपक दुबे का कहना है कि ऊँ शब्द का उच्चारण एकाग्रता को बढ़ाता है। इससे जीवनी शक्ति बढ़ती है। वहीं इंडियन मेडिकल ऐसासिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केसी देवानी का भी मानना है कि ओम एक ऐसा शब्द है, जिसमें विज्ञान और रहस्य समाया हुआ है। ओम शब्द के उच्चारण से निकलने वाली ध्वनि तरंगें शरीर और मस्तिष्क पर गहरा सकारात्मक असर डालती हैं। विशेषकर मानसिक रोगों में इसका उच्चारण कारगर साबित हुआ है।


छह मिनिट का राज
योगाचार्यों ने राम और ऊं शब्द को समतुल्य माना है। पतंजलि योग केन्द्र से जुड़े डॉ. रामलाल का मानना है कि छह मिनिट तक ओम या फिर राम शब्द के जाप या उच्चारण से कई रोग ठी को जाते हैं। छह मिनिट के सवाल पर उन्होंने कहा कि –

एक घडी, आधी घडी, आधिहुं में पुनि आध।
तुलसी चरचा राम की, हरै कोटि अपराध।।

1 घड़ी = 24 मिनट
1/2 घड़ी = 12 मिनट
1/4 घड़ी = 06 मिनट

इस चौपाई के माध्यम से छह मिनिट के अर्थ को समझ पाना ज्यादा असान है। आइए डॉ. रामलाल से ही जानते हैं कि इन 6 मिनिट में आखिर ऐसा क्या होता है कि इस अवधि में ओम नाक के उचारण से करोड़ों प्रकार के प्रकार दूर हो सकते हैं।


ये चमत्कारी असर

– छह मिनट ऊँ का उच्चारण करने से मस्तिष्क में विषेश वाइब्रेशन (कम्पन) होता है…. और औक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है।

– ओम उच्चारण के दौरान विशेष कंपन से कई मस्तिष्क रोग दूर होते हैं.. स्ट्रेस और टेन्शन दूर होती है,,,, मैमोरी पावर बढ़ता है..।

– लगातार सुबह-शाम 6 मिनट तक ओम शब्द के उच्चारण से रक्त संचार संतुलित होता है और रक्त में ऑक्सीजन लेबल बढ़ता है। रक्त चाप, हृदय रोग, कोलस्ट्रोल जैसे रोग ठीक हो जाते हैं….।

– ओम शब्द के उच्चारण दौरान उत्पन्न कंपन से शरीर में विशेष ऊर्जा का संचार होता है। मात्र 2 सप्ताह दोनों समय इसके नियमित रूप से उच्चारण से के घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जाइटी जैसे रोग दूर होते हैं।

– ओम शब्द के उच्चारण से कंठ में विशेष कंपन होता है, जिससे मांसपेशियों को शक्ति मिलती है। थाइराइड, गले की सूजन दूर होती है और स्वर दोष दूर होने लगते हैं..।

– ओम शब्द के उच्चारण के दौरान पेट में भी विशेष वाइब्रेशन और दबाव होता है। एक माह तक दिन में तीन बार 6 मिनट तक इसके उच्चारण से पाचन तन्त्र , लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है। डाइजेशन सही होता है, सैकडौं उदर रोग दूर हो जाते हैं..।

– ओम शब्द का उच्चारण एक तरह से उच्च स्तर का प्राणायाम होता है। इससे फेफड़ों में विशेष कंपन होता है..। फेफड़े मजबूत होते हैं। स्वसनतंत्र की शक्ति बढती है। इससे 6 माह में अस्थमा, राजयक्ष्मा (टीबी) जैसे रोगों में लाभ होता है। आयु बढती है।
ये चौंकाने वाले तथ्य कोरी कल्पना नहीं है, बल्कि रिसर्च में वैज्ञानिक इसे प्रमाणित और स्वीकार भी कर चुके हैं।

– ऊं के उच्चारण से मन और चित्त में एकाग्रता आती है, जो लक्ष्य तक पहुंचने की शक्ति प्रदान करती है। इससे शरीर में आंतरिक ऊर्जा का संचार होता है। आत्मबल बढ़ता है।

– किसी को बार-बार क्रोध आता हो या फिर वह काम और मोह के आकर्षण में जकड़ा तो उसे मन से कम से कम पांच मिनिट ऊं का उच्चारण करना चाहिए। इससे चमत्कारी लाभ होता है।

– ऊं शब्द के उच्चारण से मिलने फायदा राम शब्द के उच्चारण से भी मिलता है। राम शब्द इसमें और तत्परता से क्रिया करता है। यह धार्मिक आस्था विषय ही नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक शब्द है।

– प्रकांड विद्वान पं. एचपी तिवारी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि ओम शब्द ब्रम्हांड का प्रतीक है। यह परमात्मा की सर्वव्यापकता को दर्शाता है। वहीं रमन्ति इति राम:.. अर्थात जो रोम-रोम में रमता हो वही राम है। इस प्रकार राम नाम भी सार्वभौमिक और सर्वव्यापक है। इसका उच्चारण मन और बुद्धि को सकारात्मक दिशा में मोड़ता है।

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