नाचते-गाते समझा रहे- नेता आदिवासियों का शोषण करने से नहीं चूकते..
मंडली के सदस्य नाचते-गाते समझा रहे हैं कि राजनैतिक पार्टियां लोक लुभावना प्रचार और वायदों के साथ वोट तो मांग लेते है, परंतु चुनाव जीतने के बाद वे उन मतदाताओं और क्षेत्र के विकास को पूरी तरह भूल जाते हैं। इतना ही नहीं नेता उन्हीं आदिवासियों का शोषण भी करने से नहीं चूकते हैं।इसलिए चुनाव का बहिष्कार करें। दो दिन पहले मीडिया कवरेज के लिए निकले एक दल को माओवादियों ने बीच रास्ते में रोक लिया और करीब एक घंटे के पैदल सफर के बाद ऐसे ही एक गांव में ले गए जहां जनचेतना मंडली अपना आयोजन कर रही थी। यहां करीब बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र थे और उनके बीच माओवादियों की मंडली चुनाव बहिष्कार का आह्वान करते प्रदर्शन कर रही थी। यहां पेड़ों पर लोस चुनाव के बहिष्कार संबंधी बैनर पोस्टर भी चस्पा थे।
यहां ग्रामीण चुनाव बहिष्कार के नारे लगा रहे थे। इस आयोजन का नेतृत्व माओवादी नेता लखमा और महिला माओवादी शर्मिला कर रहे थे। कार्यक्रम के बाद लखमा और शर्मिला ने चर्चा में बताया कि वे जन चेतना नाट्य मंडली के माध्यम से गचुनाव बहिष्कार करने का आह्वान कर रहे हैं।