वहीं दूसरी तरफ जिस शव को लाने की जिम्मेदारी जवानों की थी वे भी यहां तक नहीं पहुंच सके। अंत में पुनेम के बेटे ने अपने पिता के शव के नीचे आइइडी (IED) होने के डर के बीच पिता के शव को रस्सी में बांधकर खींचा। इस बीच वह और उसका परिवार बिलख भी रहा था। आखिर में जब यह तय हो गया कि शव या उसके करीब कोई विस्फोटक प्लांट कर नहीं रखा गया है इसके बाद बेटा पिता के शव से लिपट कर काफी देर तक रोते रहा। परिजनों की समझाइश के बाद शव को पिकअप वाहन में डालकर गांव ले जाया गया, पूरे गांव में शोक का माहौल रहा।
Antagarh tape case: पूर्व CM अजीत जोगी समेत अमित, पुनीत और मंतूराम को नोटिस संतोष की हत्या मंगलवार को ही दोपहर करीब साढ़े तीन बजे माओवादियों ने कर दी थी। जिला मुख्यालय से 407 और बाइक में संतोष के रिश्तेदार मौके पर पहुंचे। हत्या के करीब 24 घंटे बाद तक उनका शव वैसा ही पड़ा रहा। आईईडी IED की डर की वजह से परिजनों को शव को उठाने के लिए काफी सोचना पड़ा। इसके बाद पैर में रस्सी बांधी गई और इसे खींचा गया। इस बात की तस्दीक हो गई कि आईईडी प्लांट नहीं किया गया है। फिर शव को गाड़ी में डाला गया और जिला मुख्यालय लाया गया।
विधानसभा में भी थे निशाने पर
बता दें कि संतोष पूनेम ने 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव बीजापुर सीट से लड़ी थी। इस बार वे सपा की टिकट से चुनाव लड़े थे। चुनाव के दौरान पूनेम अंदरूनी इलाकों में भी प्रचार किया था। सूत्र बताते है कि पूनेम तब भी माओवादियों के निशाने पर थे। माओवादियों के निचले कैडर को पूनेम पर हमला करने का जिम्मा सौंपा गया था।
बीजापुर में सपा नेता का शव पुलिस ने किया बरामद,नक्सलियों ने अपहरण के बाद कर दी थी हत्या लेकिन जवानों की अधिक तैनाती के चलते माओवादी उन पर हमला नहीं कर सके। इसे लेकर माओवादियों की टीम ने निचले कैडर को फटकार भी लगाई थी। लेकिन इसके बाद तारलागुड़ा रोड के एक हिस्से का काम पेटी पर ठेकेदार पंकज हलधर निवासी पखांजूर से लेकर जैसे ही काम शुरू किया। माओवादियों को एक बार फिर मौका मिल गया और उन्होंने इसी मौके का फायदा उठाया और घटना को अंजाम दे दिया।
बताया गया है कि दोपहर दो बजे माओवादी मरीमल्ला आए और ड्राइवरों को काम रोककर जाने कहा। इसके बाद संतोष पहुंचे जहां नक्सलियों ने उनके सिर पर धारदार हथियार से वार किया। इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। नक्सलियों ने वहां खड़ी जेसीबी और डोजर को आग के हवाले कर दिया। बताया गया है कि जेसीबी जगदलपुर और डोजर को तेलंगाना से किराए पर लाया गया था। माओवादियों ने उनके पर्स से पैसे व अन्य कागजात निकाल कर वहीं रख दिए। इसे परिजनों ने बुधवार को उठाया।
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15 साल पहले माओवादियों के खिलाफ बस्तर में चले सशस्त्र विद्रोह को सलवा जुडूम (Salwa Judum) के नाम से भी जानते हैं। इस आंदोलन में भाग लेने वाले हर व्यक्ति को माओवादी अपना दुश्मन मानते हैं और उन्हें अपनी हिटलिस्ट में रखते हैं। समाजवादी नेता पुनेम ने न केवल इस आंदोलन में भाग लिया था, बल्कि बीजापुर के उसूर ब्लॉक में इस कमान भी संभाली थी। यही कारण था कि संतोष माओवादियों के हिटलिस्ट में था। 15 साल बाद जब पूनेम यहां के तारलागुड़ा रोड़ के एक हिस्से का काम पेटी पर कर रहे थे। यह जानकारी माओवादियों तक भी पहुंच गई।
मंगलवार की शाम माओवादियों का दल इस सडक़ निर्माण की साइट पर पहुंचा और यहां मौजूद संतोष पुनेम को अगवा कर लिया। साथ ही यहां चल रहे जेसीबी और वाहन को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद बुधवार को उसकी हत्या सिर पर कुल्हाड़ी से वार कर दी। वहीं शव को मरीमल्लाह इलाके में फेंक दिया। माओवादियों ने घटना स्थल पर पर्चा भी फेंका है। वारदात के पीछे पूनेम को जुडूम नेता और पूर्व मंत्री महेन्द्र कर्मा का सलवा जुड़ूम (Salwa Judum) में उसूर ब्लॉक में साथ देने को जिम्मेदार ठहराया है।
सड़क निर्माण में लगे हाइवा को नक्सलियों ने जलाया, ठेकेदार की लापरवाही के कारण हुआ हादसा जेसीबी को ठीक करवाकर लौटे ही थे की…माओवादी पहुंच गए
ये इलाका अतिसंवेदनशील है और अभी घाटी में काम हो रहा था। बताते हैं कि संतोष मंगलवार को जेसीबी में आई खराबी को ठीक करवाने बीजापुर आए थे और फिर वे इसे लेकर मिनकापल्ली में आकर रूके। वहां उन्होंने अपनी बोलेरो खड़ी कर दी और जेसीबी में डीजल लेकर मौके के लिए चले गए।
Salwam Judum में पुनेम ने कर्मा का साथ दिया था इसलिए की हत्या
माओवादियों ने अपने पर्चे में लिखा कि सलवा जुडूम (Salwa Judum) कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने चलाया गया था। इसमें पर बेगुनाहों पर अत्याचार किया। लूटपाट और मारपीट का शिकार आम जनता हुई। इसमें संतोष ने महेन्द्र कर्मा का साथ दिया। माअेावादियों ने हत्या के पीछे इसी का हवाला दिया है।
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