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ये हैं अजमल कसाब को फांसी तक पहुंचाने वाली गवाह, गवाही के वक़्त दिमाग में चल रही थी ये बातें

ये हैं अजमल कसाब को फांसी तक पहुंचाने वाली गवाह, गवाही के वक़्त दिमाग में चल रही थी ये बातें  

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जयपुर

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rohit sharma

Apr 15, 2018

26/11

kasab

श्रीगंगानगर ।

राजस्थान के श्रीगंगानगर जिलें में 26/11 के हमले की गवाही देकर अजमल कसाब की गवाही देने वाली देविका रानी का स्वागत सत्कार किया गया। देविका रानी अभी राजस्थान के श्रीगंगानगर जिलें में तपोवन प्रन्यास के अध्यक्ष महेश पेड़ीवाल के निमत्रण पर यहां आई हैं।

26/11 मुंबई हमले में कसाब को पहुंचाया फांसी के तख़्ते पर

मुंबई में 26/11 के भयावह हमले के आरोपी अजमल कसाब को फांसी दिलवाने में देविका रानी की अहम भूमिका रही है। देविका ने अजमल के ख़िलाफ़ निडर रूप से अदालत में अपना बयान दिया और अजमल को फांसी के फंदे तक पहुंचाया था। 26/11 के हमले में देविका ने गवाही देकर हमले में शिकार हुए लोगों को इंसाफ दिलाया था।


नागरिकों ने किया भव्य स्वागत

देविका रानी रविवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर में पहुंची जहां उनका भव्य रूप से स्वागत किया गया। देविका को फुल मालाअर्पण कर मुख्य मार्ग से तपोवन ले जाया गया।


कसाब के खिलाफ गवाही के वक़्त थी सिर्फ ये बात

देविका रानी से गवाही के वक़्त का किस्सा पूछने पर उन्होंने कहा कि अदालत में अजमल कसाब की गवाही देते वक़्त उनके दिमाग मे सिर्फ एक ही बात थी की सामने खड़े आदमी ने देश पर आतंकी हमला किया है इसे सिर्फ और सिर्फ सजा दिलानी है। लोगो ने भी देविका के साहस की और निडरता की प्रशंशा की और देविका का धन्यवाद दिया। अगर देविका अदालत में डर कर बयान नहीं देती तो आज कसाब को ना फांसी होती और न ही पीड़ितों को इंसाफ मिलता।

ये है 26/11 आतंकी हमला

26 नवंबर 2008 को दस आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हमला किया था। इस हमले में 237 लोग मारे गए थे जबकि करीब 300 लोग इस हमले में घायल हुए थे। हमले में पाकिस्तान के 10 आतंकी शामिल थे, जिनमें से एक आतंकी को जिंदा पकड़ लिया गया था वह आतंकी कसाब था । जबकि 9 आतंकियों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया था। हमले के दौरान आतंकियों ने ताज और ओबराय होटल में कब्जा कर लिया था। इस दौरान कुछ लोगों को आतंकियों ने बंधक भी बना लिया था। जिसके बाद सरकार ने दिल्ली से एनएसजी कमांडो को भेजकर बंधकों को छुड़ाया था। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी।