30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

तीन महीने में 40 लाख को रोजगार, यही चाल रही तो फिर रेकॉर्ड बनाएगी मनरेगा

- बीते साल मिले कुल रोजगार का 36 प्रतिशत पहली तिमाही में पूरा, इस वित्तीय वर्ष में दो सप्ताह तक रुकी रही थी योजना

less than 1 minute read
Google source verification
तीन महीने में 40 लाख को रोजगार, यही चाल रही तो फिर रेकॉर्ड बनाएगी मनरेगा

तीन महीने में 40 लाख को रोजगार, यही चाल रही तो फिर रेकॉर्ड बनाएगी मनरेगा

जयपुर. कोरोना काल में बीते वर्ष एक करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका देकर रोजगार का सबसे बड़ा जरिया बनी मनरेगा प्रदेश में फिर नया रेकॉर्ड बनाने के रास्ते पर दिख रही है।
पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में योजना के तहत राजस्थान में 1.10 करोड़ लोगों को रोजगार दिया, जो बीते पांच साल में रेकॉर्ड था। इधर, मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में ही अब तक करीब 40 लाख मजदूर प्रदेश में रोजगार पा चुके हैं। यह स्थिति तब है, जबकि इस साल पहली बार सरकार ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए 14 दिन तक योजना के कार्यों को बंद रखा था।
इसी औसत से यदि श्रमिकों का नियोजन रहता है तो निश्चित ही 2021-22 के अंत में रोजगार का आंकड़ा बीते वर्ष के रेकॉर्ड को तोड़ देगा।
पहली तिमाही में हुए खर्च का आकलन करें तो इस अवधि में योजना के क्रियान्वयन के लिए उपलब्ध राशि का 67 प्रतिशत खर्च हो चुका है। मनरेगा रिपोर्ट के अनुसार कुल उपलब्ध 3130 करोड़ रुपए में से 2116 करोड़ रुपए अब तक खर्च हुए हैं।

40 दिन में हुए 32 लाख

कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी के कारण राज्य सरकार ने इस साल 11 मई को मनरेगा कार्यों को स्थगित कर दिया था। 25 मई को अनलॉक के वक्त योजना में सिर्फ 1.37 मजदूर ही रोजगार पर आए, लेकिन इसके बाद लगातार बढ़ते गए श्रमिकों क संख्या रविवार को 32 लाख पर पहुंच गई है।

प्रवासियों का बड़ा सहारा

कोरोना काल में मजदूरों की संख्या में बढ़ोतरी का बड़ा कारण वो प्रवासी मजदूर भी रहे हैं, जो दूसरे राज्यों से राजस्थान लौटे और यहां मनरेगा में नियेाजित हुए। सरकार आंकड़ों के अनुसार बीते साल मार्च से अब तक करीब 13 लाख से अधिक प्रवासी राजस्थान के विभिन्न जिलों में लौटे हैं।