अध्ययन से पता चला है कि 44 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के पहले तिमाही में अनिद्रा से ग्रस्त होती है, जो दूसरी तिमाही में बढक़र 46 प्रतिशत हो जाता है और तीसरी तिमाही में यह 64 प्रतिशत पहुंच जाता है। प्रसुति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शालू कक्कड़ ने बताया कि अनिद्रा एक विशेष समस्या से संबंधित है, जिसमें नींद की कमी प्रमुख है। यह गर्भवती महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जो गर्भवती के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। अध्ययन के निष्कर्ष से पता चलता है कि गर्भवती महिलाओं में रात को सोने के दौरान कई बार नींद टूटती है और जिससे दिन में झपकी आती है।
डॉ. स्मिता वेद ने बताया कि नींद से जुड़ी समस्या होने पर खुद दवा लेने से बचना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान थोड़ी बहुत कसरत भी करते रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान दिनचर्या में नियमित व्यायाम, योग और ध्यान का पालन करने से गर्भावस्था से संबंधित अनिद्रा की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आहार में बदलाव भी इसमें मदद कर सकता है।
यह तथ्य है कि गर्भावस्था के दौरान नींद से जुड़ी समस्याएं होती है और कई बार स्थिति बिगड़ जाती है। अकसर देखा जाता है कि गर्भावस्था के दौरान नींद नहीं आना या नींद से जुड़ी कोई और समस्या को सामान्य समस्या मान लिया जाता है, जबकि इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इससे महिलाओं को भविष्य में स्वास्थ्य संबंधित समस्या होने का खतरा रहता है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए और ऐसा होता है कहकर नहीं टालना चाहिए।