बजरी माफिया के सामने सब फेल, राजस्थान में टास्क फोर्स की तैयारी, एमपी में नई नीति से भी नहीं रोक सके अवैध खनन जेबें भरने की होड़, इसलिए फैलता गया रैकेटबजरी का खनन और परिवहन खुद खनिज विभाग के अधिकारियों—कर्मचारियों की मिलीभगत से हो रहा है। कमाई के लालच में स्थानीय गिरोह माफिया के लिए काम करने लगे हैं। इनमें चाय थड़ी पर बैठा व्यक्ति या दुकान मालिक लोकेशन बताता है। फर्जी पत्रकार, वहन लोन रिकवरी एजेंट भी बजरी के वाहनों पर नजर रखते है। पुलिस और खनिज विभाग की मिलीभगत से ये लोग भी वसूली करते हैं। कभी कोई ईमानदार अधिकारी जांच करे तो उसके हाथ खास कुछ नहीं लगता क्योंकि माफिया को कार्रवाई की सूचना पहले से मिल जाती है।
02 जोधपुर के बासनी थाने का सब इंस्पेक्टर बजरी का वाहन छोड़ने के बदले 20 हजार रुपए वसूलते पकड़ा गया था। 03 मनोहरपुर थाना पुलिस 25 हजार रुपए लेकर वाहन छोड़ते पकड़ी गई थी।
04 मुकदमा दर्ज नहीं करने के बदले खनिज विभाग का फोरमैन 14 हजार रुपए लेते पकड़ा गया था।
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