गृह विभाग की ही नहीं ली मंज़ूरी
सामने आया है कि एसीबी ने जवाब सुप्रीम कोर्ट में पेश करने से पहले उस पर गृह विभाग की मंजूरी ही नहीं ली। एकल पट्टा प्रकरण में 22 अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट में पेश जवाब में शांति धारीवाल व अन्य को क्लीन चिट देने के अशोक गहलोत सरकार के समय के जवाब को यथावत रखा गया। राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड केतन पॉल ने यह जवाब सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। इस मामले में एपीओ किए गए ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र सिंह को सोमवार को पहले गृह विभाग और फिर सीएमआर में तलब किया गया।
बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में पेश जवाब मंजूरी के लिए एसीबी के उच्चाधिकारियों तक गया, जिस पर एसीबी अधिकारी मौन हैं।
यह कहा जवाब में
राज्य सरकार के अनुसार एकल पट्टा प्रकरण में नियमों की पूरी पालना की गई और इसमें राज्य को कोई वित्तीय हानि नहीं हुई। एपीओ हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र सिंह तीन दिन पहले ही दूदू के तत्कालीन कलक्टर हनुमान मल ढाका के खिलाफ दर्ज मामले के जांच अधिकारी नियुक्त हुए। ढाका के खिलाफ एसीबी ने 26 अप्रेल को रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था।
किसके स्तर पर जवाब का अनुमोदन हुआ, यह अभी नहीं बता सकते। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। – हेमंत प्रियदर्शी, कार्यवाहक महानिदेशक, एसीबी – महत्वपूर्ण मामले गृह विभाग तक आते हैं, लेकिन कई मामले रूटीन में एसीबी से आगे बढ़ जाते हैं। यह जवाब मंजूरी के लिए गृह विभाग नहीं आया। – आनंद कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग