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राजस्थान में भजनलाल सरकार ने कांग्रेस के इस दिग्गज नेता को दी बड़ी राहत, जानिए क्या है पूरा मामला ?

तथ्यों के अनुसार 3 दिसम्बर 2014 को तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के समय एकल पट्टा प्रकरण में एसीबी ने मामला दर्ज किया। एसीबी ने इस मामले में तत्कालीन आईएएस अधिकारी जीएस संधू, तत्कालीन आरएएस अधिकारी निष्काम दिवाकर, तत्कालीन जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, लाभार्थी शैलेन्द्र गर्ग व दो अन्य को गिरफ्तार भी किया।

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जयपुर। राजधानी के चर्चित एकल पट्टा प्रकरण में भजनलाल सरकार ने कोटा में मतदान से 4 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश कर नगरीय विकास मंत्री रहे शांति धारीवाल और तीन तत्कालीन अधिकारियों को क्लीन चिट दी। राज्य सरकार के जवाब में कहा गया है कि एकल पट्टा प्रकरण में कोई मामला नहीं बनता।

राज्य सरकार ने एकल पट्टा प्रकरण में अशोक पाठक की विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में यह जवाब पेश किया। वर्ष 2011 में जेडीए ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया था। इस मामले में धारीवाल व तत्कालीन अधिकारियों को हाईकोर्ट से राहत मिल गई, जिसके खिलाफ यह विशेष अनुमति याचिका दायर की गई। इस पर राज्य सरकार की ओर से 22 अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट में पेश जवाब में कहा कि एकल पट्टा प्रकरण में नियमों की पूरी तरह से पालना की गई और इसमें राज्य को कोई वित्तीय हानि भी नहीं हुई।

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वसुंधरा राज में लगा था ये आरोप

तथ्यों के अनुसार 3 दिसम्बर 2014 को तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के समय एकल पट्टा प्रकरण में एसीबी ने मामला दर्ज किया। एसीबी ने इस मामले में तत्कालीन आईएएस अधिकारी जीएस संधू, तत्कालीन आरएएस अधिकारी निष्काम दिवाकर, तत्कालीन जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, लाभार्थी शैलेन्द्र गर्ग व दो अन्य को गिरफ्तार भी किया। एसीबी ने शांति धारीवाल से भी पूछताछ की। कांग्रेस के सत्ता में आने पर इस मामले में तीन क्लोजर रिपोर्ट पेश कर सभी को क्लीन चिट दे दी गई, अब भजनलाल सरकार ने भी सभी को क्लीन चिट दी हैं।

एसीबी कोर्ट ने खारिज की थी चार्जशीट को वापस लेने की अर्जी

उल्लेखनीय है कि एसीबी कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट को वापस लेने की अर्जी को खारिज़ कर दिया। अपील पर 17 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट ने तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ केस वापस लेने के राज्य सरकार के निर्णय को सही ठहराया, वहीं परिवादी रामशरण सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे सुरेन्द्र सिंह ने भी केस वापस लेने की सहमति दे दी।

इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को अशोक पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज एफआईआर को केवल शिकायतकर्ता की सहमति के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में पेश जवाब पर पाठक ने कहा कि लगता है ब्यूरोक्रेसी ने पूर्ववर्ती सरकार के जवाब को ही सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया।


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