
शैलेन्द्र अग्रवाल
केन्द्र में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 'सीएए' को लेकर हलचल है, लेकिन सत्ता बदलने के बावजूद राज्य सरकार ने सीएए पर विरोध का निर्णय वापस नहीं लिया है। अशोक गहलोत शासन में सीएए के विरोध में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र के खिलाफ दावा पेश किया, वहीं राजस्थान विधानसभा ने संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार से सीएए को लागू नहीं करने का आग्रह भी किया।
जानकारों के अनुसार सीएए को प्रभावी करने के लिए लोकसभा चुनाव से पहले नियम बनाए जा सकते हैं। इसको लेकर गृह मंत्रालय में हलचल है। ऐसे में प्रदेश में सवाल उठने लगे हैं कि भजनलाल सरकार गहलोत सरकार का निर्णय बरकरार रखेगी या निर्णय बदला जाएगा। सवाल उठने की वजह यह है कि भजनलाल सरकार ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार के खिलाफ लंबित राज्य सरकार का दावा वापस लेने का निर्णय नहीं किया है। इस दावे पर सुप्रीम कोर्ट से केन्द्र सरकार को नोटिस भी जारी हो चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 2020 में राजस्थान विधानसभा की ओर से केन्द्र सरकार को भेजे संकल्प पर भी राज्य सरकार का कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है ऐसे में कानूनी तौर पर राजस्थान आज भी केन्द्रीय अधिनियम के विरोध में खड़ा है।
25 जनवरी 2020 को पारित शासकीय संकल्प...
तत्कालीन मंत्री शांती कुमार धारीवाल की ओर से पेश प्रस्ताव में केन्द्र सरकार से सीएए को निरस्त करने का आग्रह किया, विधानसभा से पारित होने पर इसे केन्द्र को भेज दिया गया।
18 जुलाई 2020 को सुप्रीम कोर्ट में दस्तक
सीएए के विरोध में राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दावा पेश किया, जिस पर नोटिस जारी हो चुके और मामला अब भी लंबित है। 13 अक्टूबर 23 को अंतिम बार सुनवाई हुई। सुनवाई करने वाली बैंच में सीजेआई भी शामिल हैं।
2019 में पारित हुए सीएए
लोकसभा में सीएए के विधेयक को दिसम्बर 2019 में पारित किया गया, लेकिन नियम नहीं बने हैं। अब नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा शुरू करने की तैयारी है, इसके लिए केन्द्रीय अधिकारियों ने पोर्टल तैयार कर लिया है।
Published on:
08 Jan 2024 07:51 am
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