बढ़ती है सकारात्मक ऊर्जा
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि जिन जातकों की कुंडली में सूर्य अशुभ फल दे रहा हो उनको इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद आदित्य हृदय स्रोत का पाठ करना चाहिए। सूर्यदेव की कृपा से व्यक्ति को लंबी आयु, आरोग्य, धन-धान्य में बढ़ोत्तरी, यश-कीर्ति, विद्या, भाग्य और पुत्र, मित्र व पत्नी का सहयोग प्राप्त होता है। सुबह उगते हुए सूर्य को प्रणाम करने या जल चढ़ाने से मन में आत्मविश्वास बढ़ता है एवं सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। सप्तमी तिथि पर सूर्य को जल चढ़ाने और पूजा करने से रोग दूर होती हैं। भविष्य पुराण में श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र को सूर्य पूजा का महत्व बताया है। पुराणों के अनुसार इस सप्तमी को जो भी सूर्य देव की उपासना तथा व्रत करते है,उनके सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
कब शुरू होगी सप्तमी तिथि
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 07 दिसंबर को रात 11:05 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 08 दिसंबर को सुबह 9:44 मिनट पर होगा। ऐसे में भानु सप्तमी 08 दिसंबर को मनाई जाएगी।कष्टों से मिलती है मुक्ति
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि रथ सप्तमी या भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि भानु सप्तमी तिथि पर सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति को जीवन में यदि कोई मानसिक और शारीरिक कष्ट है तो उससे मुक्ति मिलती है। इसके अलावा जिन जातकों की लग्न कुंडली में सूर्य कमजोर होता है तो भानु सप्तमी व्रत करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है।धार्मिक महत्व
इस व्रत को करने से कुंडली में जब सूर्य मजबूत होता है तो करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही आय, आयु, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। मनचाही नौकरी भी प्राप्त होती है।सूर्य चालीसा का करें पाठ
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचोपचार करने के बाद सूर्य देव की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत, दूर्वा आदि से करें। आखिर में सूर्य चालीसा और सूर्य कवच का पाठ करें। सूर्य देव की आरती-अर्चना के बाद पूजा का समापन करें और गरीब व जरूरतमंदों को दान दें।ऐसे करें पूजा
9 जुलाई को ब्रह्म मुहूर्त में जागने के बाद स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। सूर्योदय के साथ ही सूर्य देव को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें। बहती जलधारा में काले तिल प्रवाहित करें। जल में चावल, काले तिल, रोली और दूर्वा मिलाकर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। सूर्य देव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें।एहि सूर्य सहस्त्रांशोतेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
ॐ भूर्भुवःस्वःतत्सवितुर्वरेण्यंभर्गोदेवस्यःधीमहिधियो यो नःप्रचोदयात्॥