जयपुर के निजी अस्पतालों में बड़े स्तर पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए है। इनमें से कई विदेश के रहने वाले लोग है। जिन बांग्लादेशी लोगों को हरियाणा पुलिस ने पकड़ा। उनसे जयपुर पुलिस पूछताछ कर चुकी है। जिन्होंने बताया है कि जयपुर के अस्पतालों में एक नेटवर्क काम कर रहा है। बाहरी देशों में इनके दलाल के संपर्क में होने से वह आए। वह तीन से पांच लाख रुपए तक के लालच में आए और भारत में आ गए। वहीं पुलिस अब उन दलालों की भी तलाश कर रही है, जो अंग प्रत्यारोपण में शामिल है।
निजी अस्पताल बेपर्दा, लेकिन गिरफ्तारी नहीं.. पुलिस जांच में जिन निजी अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए। वह सामने आ चुके है। चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से भी उनके खिलाफ मुकदमें दर्ज कराए जा चुके है। पुलिस की ओर से अब जांच की जा रही है। लेकिन अब तक इस मामले में एक भी डॉक्टर या अन्य किसी अस्पताल के कर्मचारी की भूमिका साबित नहीं कर पाई है। जबकी यह साफ हो चुका है कि निजी अस्पतालों में यह सारा खेल हुआ।
एसीबी ने फर्जी एनओसी से पकड़ा था मामला… फर्जी तरीके से ऑर्गन ट्रांसप्लांट होने के मामले में शुरूआत एसीबी ने की थी। एसीबी ने फर्जी एनओसी का मामला पकड़ा था। जिसमें सामने आया कि जयपुर में निजी अस्पतालों में एक हजार से ज्यादा ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए। जबकी एसएमएस अस्पताल की ओर से 100 से ज्यादा एनओसी जारी नहीं की गई। ऐसे में अन्य सभी ऑर्गन ट्रांसप्लांट में फर्जी तरीके से एनओसी जारी की गई।